आज से ठीक छब्बीस साल पहले करीब इसी समय भारत के क्रिकेट प्रेमी अविश्वास और उल्लास में डूब कर जश्न मना रहे थे. पच्चीस जून १९८३ को लॉर्ड्स के मैदान पर कपिल देव के नेतृत्व में भारत की टीम ने अजेय वेस्ट इंडीज़ को हराकर क्रिकेट का विश्व कप जीता था. उन्हीं यादों के लिए आज कपिल पा जी की चन्द तस्वीरें.
फ़ाइनल का स्कोर कार्ड यहां देखें: स्कोर कार्ड
7 comments:
.... पर दोबारा कब आएगा ये कप ??
कपिल दा जवाब नई।
.कपिल दा जवाब नहीं !!
हम तो कपिल के दिवाने हुआ करते थे। सही मायनों में वो हमारे लिए हिरो थे। उनके बाॅलिंग एक्शन उनका बैटिंग स्टाइल हर चीज के हम फैन हुआ करते थे। उन्होंने जिस तरह से जिम्बावे के खिलाफ शानदार बैटिंग की थी उसे हमने देखा नहीं था लेकिन उसके किस्से पढ़ पढ़ कर हम गौरावान्वित होते थे। उन्होंने हमें विश्व कप जितवाया था यह सोच कर हमारा नेशनल प्राइड बल्लियों ऊपर चढ़ जाता था। वो हमारे लिए विवियन रिचर्डस और वसीम अकरम के टक्कर का देने वाले शख्स थे। बचपना था हमारा लेकिन सोच तो यही होती थी कि उनके पास वो हैं तो हमारे पास कपिल है !
भारतीय युवाओं के लिए हमेशा ही हिरो की कमी रहती है। इसलिए गर कोई गुदड़ी का लाल तमाम संघर्षों से पार पाकर विश्व-स्तर पर पहचान बना ले तो उसके लिए जुनून स्वाभाविक भी है। कपिल की जमीन से आसमान तक की नाटकीय कहानी हर बच्चे में एक उम्मिद जगाती थी कि एक दिन हमें भी अचानक वो गोल्डेन चांस मिलेगा जिसके बाद .....
अशोक जी को धन्यवाद की उन्होंने यह पोस्ट लगायी
हम भी कपिल के दीवाने थे और हैं
वर्ल्डकप के वो मैच हमने उस समय के अपनी बैंक के साथी के घर पर रात में देखे थे, फाइनल का जो मैच हारते हारते जीता था वैसा मैच शायद कभी नहीं देखा, न तो हमें भरोसा हो रहा था न मैच हारने वालों को हुआ होगा:)
शुक्रिया अशोक साहब, उन पलों को ताज़ा करने के लिये
मैथिली जी
न कपिल पा जी वह असम्भव कैच पकड़ कर विव रिचर्ड्स जैसे कातिल बल्लेबाज़ को चलता करते न इन्डिया जीतती.
और तब उस महत्वपूर्ण मौके पर जिमी पा जी को गेंद दिया जाना जब लग रहा था कि डूजोन और मार्शल मैच निकाल ले जाएंगे और उस भीषण मध्यम गति की गेंद पर डूजोन का बोल्ड होना ...
और ... और ...
कितनी कितनी बार तो इस सब को देखा जा चुका
... दर असल हम सब के पास उस फ़ाइनल को लेकर अपनी अपनी कहानियां हैं.
चलिये अपनी यादों को लेकर एक पोस्ट कभी लगाता हूं.
i remember that day ! my interest in cricket vanished with the change in player's uniform. i can still watch a match in whites !
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