हमने रूट लिया रानीखेत-कर्णप्रयाग-नन्दप्रयाग-चमोली-गोपेश्वर-मण्डल-चोप्ता-तुंगनाथ- मस्तूरा-रुद्रप्रयाग-गौचर-कोटमल्ला-गौचर-गैरसैण-रानीखेत.
बताया जाता है कि क़रीब साढ़े बारह हज़ार फ़ीट की ऊंचाई पर अवस्थित तुंगनाथ दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मन्दिर है. तुंगनाथ जाने के लिए आपको पहले चोप्ता पहुंचना होता है जहां हमारे कबाड़ी अनिल यादव भी इधर चन्द दिन बिता कर आए हैं. चोप्ता से फ़क़त साढ़े तीन किलोमीटर की चढ़ाई आपको तुंगनाथ पहुंचाती है.
यात्रा की तफ़सीलात बाद में देता हूं फ़िलहाल कुछ तस्वीरें देखिये.
10 comments:
बहुत सुन्दर चित्र हैं। मुझे बुरुश के फूल व पेड़ देखने थे। उनका भी कोई फोटो है?
घुघूती बासूती
बहुत सुन्दर चित्र...
घुघुती जी
तुंगनाथ के रास्ते पर गुलाबी और सफ़ेद रंग के बुरुंश खिलते हैं. इन दिनों बुरुंश नहीं खिलता. उसका समय मार्च-अप्रैल-मई है.
चलिये खोजता हूं पुराने कबाड़ में. एक पोस्ट बुरुंश पर ही सही आपके नाम. जल्दी!
आम की डार कोयलिया बोले , तोता बोले बन में
घर वारे तो घर में राजी अर फक्कड़ राजी बन में
जय शिव-- शम्भु खेंच के चिमटा गाढ़ दे तम्बू !
चित्र अत्यंत मोहक और बुलाने वाले है.यात्रा विवरण का इंतज़ार रहेगा.
बहुत ही शानदार। यात्रा विवरण होना चाहिए।खासकर चोप्ता के बाद की चढ़ाई का।
नयनाभिराम चित्र...वाह...बेहद खूबसूरत.
नीरज
खूबसूरत प्रकृति के शानदार चित्र।
बहुत सुंदर..
बहुत ही खूबसूरत!
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