Saturday, August 15, 2009

आजादी का इक लम्हा

आज सुबह - सुबह १५ अगस्त , स्वाधीनता के जश्न में शिरकत की और अपने बसेरे को लौटते हुए एक ही शब्द जेहन में गूँजता रहा - आजादी . कितना कुछ लिखा गया है , लिखा जाएगा इस अकेले शब्द के बारे में. आजादी बहुत बड़ी नेमत है . ख़लीक अंजुम और मुज़्तबा हुसैन द्वारा संपादित पुस्तक 'ज़ब्तशुदा नज़्में' से साभार प्रस्तुत है 'जोश' मलीहाबादी के चंद शब्द इस एक अकेले शब्द के बारे में जो सिर्फ शब्द भर नहीं है।



सुनो ऐ बस्तगाने -जुल्फ़ें गेती -
निदा क्या आ रही है आसमां से
कि आजादी का इक लम्हा है बेहतर
गुलामी की हयाते जाविदां से

- 'जोश' मलीहाबादी


बस्तगाने -जुल्फ़ें गेती = पृथ्वी के बाल - जाल में फंसे हुए
निदा = आवाज़
लम्हा = क्षण
हयाते जाविदां = अमर जीवन

6 comments:

अमिताभ मीत said...

क्या बात है !! 'साहिर' की याद आ गई :

"उम्र भर रेंगते रहने से कहीं बेहतर है
एक लम्हा जो तेरी रूह में वुसअत भर दे
एक लम्हा जो तेरे गीत को शोखी दे दे
एक लम्हा जो तेरी लय में मसर्रत भर दे"

प्रीतीश बारहठ said...

शहीदों को नमन्
आगे जो और होंगे उन्हें भी
होना पड़ेगा.. !
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नाजुकी में जी गया जंजीर देखकर
दिल किसी ज़ुल्फ़ की हिरासत न रहा

Renu goel said...

भूले शहीदों की कुर्बानी को फिर याद करा दी ....काश हम उन्हें सिर्फ आज ही नहीं हमेशा याद रखें तो उनकी शहादत हमें गलत रास्ते पर जाने से बचायेगी ....स्वतंत्रता दिवस की बधाईयाँ

मुनीश ( munish ) said...

@ मीत --देखिये साहिर सा'ब की याद दिलाई है तो ये भी जान लीजे के आज़ादी के बाद आपने पाकिस्तान को चुना मगर सही मायनों में रोशन ख़याल और प्रोग्रेसिव होने की वजह से मज़हबी तशद्दुद के पैरोकार पाकिस्तान के अँधेरे मुस्तकबिल को ताड़ने में देर नहीं की और हिन्दोस्तान लौट आये .....बाकी अलिफ़-लैला तो सब जानते हैं मगर ये जानने की ज़हमत कम लोगों ने की है की आखिर वो कौनसे अजीयतनाक वाकये थे जिन्होनें साहिर को अपनी पसंद बदलने को मजबूर किया ! बहरहाल, उनका कॉपीराईट यहीं रहा और ये फ़ख्र की बात है .
आज ज़रुरत महाकवि आनंद बख्शी के पुनर्मूल्यांकन की भी है , बानगी देखें--
" अंधा बेटा युद्ध पे चला तो न जा न जा उसकी माँ बोली
वो बोला कम कर सकता हूँमैं भी दुश्मन की एक गोली
ज़िक्र शहीदों का हो फ़िर क्यूं उनमें मेरा नाम न आए
देखो वीरजवानों अपने खून पे ये इल्ज़ाम नआए
माँ न कहे के मेरे बेटे वक़्त पड़ा तो काम ना आये"
Happy Independence Day.

Syed Ali Hamid said...

Oh, the blunder that was Partition ! What political insanity led to it, the historians keep on debating and the people continue to suffer its consequences.
While remembering and saluting the martyrs, let us also condemn those who divided our nation.
Happy Independence Day.
Jai Hind!

मुनीश ( munish ) said...

Going by number of comments one can say that Shakira and Michael Jackson have more followers than I Day !