ये निराशा क्यों भाई ? जब हिन्दुस्तानी अपनी किसी भी विरासत पर गर्व करने में लजाते हैं , सकुचाते हैं तो भाषा को लेकर उनकी सहज -सुलभ लाज को लेकर दुःख क्या जताना ! आज तो हालत बहुत बेहतर है सिवा इसके की हिंदी में बात करना भर जान जाने की वजह बन जाता है देश के कुछ हिस्सों में. Nice rhyme & a lovely poem anyway .
7 comments:
ये निराशा क्यों भाई ? जब हिन्दुस्तानी अपनी किसी भी विरासत
पर गर्व करने में लजाते हैं , सकुचाते हैं तो भाषा को लेकर उनकी सहज -सुलभ
लाज को लेकर दुःख क्या जताना ! आज तो हालत बहुत बेहतर है सिवा इसके की
हिंदी में बात करना भर जान जाने की वजह बन जाता है देश के कुछ हिस्सों में. Nice rhyme & a lovely poem anyway .
भई हिन्दी का पर्व है कहो कि हमे गर्व है ।
आपका हिन्दी में लिखने का प्रयास आने वाली पीढ़ी के लिए अनुकरणीय उदाहरण है. आपके इस प्रयास के लिए आप साधुवाद के हकदार हैं.
एक बरस में कुछ और तुक मिला लेंगे वरना शब्द ही गढ़ डालेंगे. :)
खाक छानने भर ही से कर पाओगे प्यार
करते रहोगे हमेशा गर तुक का इंतज़ार
माफ़ करें लेकिन यह व्यंग्य लज्ज़ास्पद है
बिन्दी
चिन्दी
जिन्दी
रिन्दी
&
Hindi
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