Tuesday, January 5, 2010

ढिमिक डिमिक डमरू कर बाजे: पण्डित छन्नूलाल मिश्र




पण्डित छन्नूलाल मिश्र जी की कई रचनाओं को कबाड़खा़ने पर पहले भी लगाया जाता रहा है.

आज़मगढ़ ज़िले में जन्मे छन्नूलाल जी को पहली संगीत दीक्षा उनके पिता पण्डित बद्री प्रसाद मिश्र जी ने दी. बाद में किराना घराने के उस्ताद अब्दुल ग़नी ख़ां ने उन्हें संगीत की बारीकियां सिखाईं.

पण्डित जी ने खयाल, ठुमरी, दादरा, कजरी, चैती और भजनों की असंख्य कम्पोज़ीशन्स गाई हैं. १९९५ में उत्तर प्रदेश सरकार के नौशाद सम्मान से नवाज़े जा चुके छन्नूलाल मिश्र जी उत्तर भारत के सबसे लोकप्रिय संगीतकारों में हैं.

आज आप को उनकी आवाज़ में सुनवाते हैं उनके अल्बम शिव विवाह से एक रचना:

4 comments:

संजय पटेल said...

पण्डितजी की खरज में डूबी आवाज़ अपनेपन का अहसास देती है. उनकी सरलता और सहजता एक अलौकिक आनंद बनकर कंठ से झरती है. वाह....लगता है शिवरात्रि आ गई....

Smart Indian said...

आनंद आ गया. बहुत-बहुत आभार!

मैथिली गुप्त said...

अशोक भाई, समझ नहीं आ रहा है क्या लिखूं...
पांच दिन पहले इतना आनंद अनुभव नहीं होता था जितना अब. बार बार सुनने के बाद और भी अधिक रस बढता जा रहा है...

Rakesh Singh - राकेश सिंह said...

आनंदविभोर हूँ पंडित जी को सुनकर |

आभारी हूँ आपका !