Monday, January 18, 2010

आप मराठी न जानते हों तो भी गुज़ारिश;इसे सुनें ज़रूर !


मराठी नाट्य परम्परा में संगीत का एक महत्वपूर्ण क़िरदार रहा है. नाटक के कथानक को आगे बढ़ाने और मोनोटनी को तोड़ने में नाट्य संगीत कड़ी बनता आया है.
किर्लोस्कर नाट्य कम्पनी के ज़माने से नाटकों में संगीत का सिलसिला बना और उसे बाद में पं.बाल गंधर्व, पं.दीनानाथ मंगेशकर और सवाई गंधर्व ने सँवारा और समृध्द किया. नाट्य पदों की भावभूमि हमेशा से शास्त्रीय संगीत के इर्दगिर्द रची गई और गुणी कलाकारों ने इसे तेज़ तान के साथ टप्पे,ठुमरी और छोटे ख़याल के सारे कलेवरों से सजाया. कालांतर में पं.भीमसेन जोशी,पं.जितेन्द्र अभिषेकी और पं.वसंतराव देशपाण्डे ने इस क्षेत्र में बहुत ख्याति अर्जित की.

पं.वंसतराव देशपाण्डे जल्दी ही इस दुनिया से चले गए. उनके गायन एक अजीब कशिश थी और उनका स्वर-विन्यास हमेशा से श्रोता को एक अलौकिक आनंद की सैर करवाता था. वे एक बेजोड़ तबला वादक और अभिनेता भी थे.पु.ल.देशपाण्डे,कुमार गंधर्व और पं.देशपाण्डे में बड़ा ज़बरदस्त याराना था. तीनो के बीच दो चीज़े कॉमन थीं...रसरंजन और बेग़म अख़्तर. हाँ याद आया इन तीनों के एक और प्यारे दोस्त थे रामूभैया दाते जिन्हें संगीत संसार रसिकराज के रूप में जानता था. वे अपने घर कई बड़े बड़े गायकों की महफ़िलें करते और शानदार ख़ातिरदारी भी. बेग़म अख़्तर इन्दौर आएँ और रामू भैया से न मिले ऐसा हो ही नहीं सकता . रामू भैया के बार में विस्तार से फ़िर कभी

...फ़िलहाल पं.वसंतराव देशपाण्डे के मदमाते और घुमावदार स्वर में सुनते हैं यह मराठी नाट्य पद ...घे ई छंद मकरंद....ज़रा देखिये तो क्या बलखाती तानें हैं और स्वरों की लयकारी....कमाल है.

अशोक भाई आज आपका दिन शायद यही सुनते बीत जाए !


9 comments:

विवेक रस्तोगी said...

वाह वाह मजा आ गया।

abcd said...

which software is needed to listen?my browser shows only a white strip..help...

Unknown said...

संजय भाई,
सुबह खुशनुमा और दिन मस्तीभरा बना दिया आपने… सैकड़ों बार सुन चुकने के बावजूद जब भी यह पद सामने आता है सुने बिना नहीं रहा जाता… पंडित देशपाण्डे का जादू कुछ और ही है… धन्यवाद…

पारुल "पुखराज" said...

sanjay bhayi badaa aanand laa diya ..aabhaar

Ashok Pande said...

ज़बरदस्त! अद्भुत आनन्द! संजय दादा, जै हो! और सुनवाएं.

Ashok Pande said...

Dear Amit,

You dont need to have any specific software to be able to listen to it.

Your problem is due to your slow internet connection.

I suggest you open the post and leave the page as such for a while. I am sure you would soon be able to see the player. It happens with me as well sometimes.

All the best.

विजयशंकर चतुर्वेदी said...

bas kamaal hee hai!

siddheshwar singh said...

बहुत ही..उम्दा...

abcd said...

thanks ashok bhai,

it worked....

in fact

patience works :-)

regards
Amit.