(पिछली किस्त से जारी)
"अच्छा।
फिर क्या हुआ?" इस बार थान सिंह ने पूछा। "अरे यार
अन्दर गया तो क्या देखा एक बहोत बड़ी मशीन थी : नहीं भी होगी ये रानीधारा से
पोखरखाली तक तो होगी ही। "
बदरी
काका खांसे तो गोपाल बोला : "मतलब बहोत बड़ी थी। और सारे बकरों को वहां ला
रहे हुए। एक दरवाजा जैसा हुआ और एक एक कर के उन को अन्दर गोठ्या रहे ठहरे। फिर
कहीं पहिये हुए कहीं घिर्री कहीँ बलब झाप्झाप। एक आदमी माइक में कुछ कह भी रह हुआ
बार बार जापानी में। फीर ... आग्गे जा के मशीन के लास्ट में सौ पचास आदमी बैठ के
पेटी भर रहे हुए। किसी में जूते किसी में दस्ताने किसी में मीट के टीन. मैं तो
..."
इस
के पहले कि गोपाल आगे कुछ जोड़ता बदरी काका बोल उठे: "यार तू उसी फैक्ट्री की
बात तो नहीं कर रहा जो वहां पिक्चर हॉल के आगे वाले मोड़ पे है?"
"बिल्कुल
वही कका"
"अरे
यार पता नही मैं भी गया था वहां एक बार कभी।"
गोपाल
सन्न रह गया। फिर अपनी शांत संयत स्वर में बदरी काका बोले:
"मुझे
तो जापान के राजा ने बुलाया था। एक बार दिल्ली में वो मुझे मिल गया था तो उसने
मुझे जापान बुला लिया। अब मैं वहां गया तो मार सारे मंत्री फंत्री आगे पीछे लगे
हुए। रात को खाना खाते बखत राजा मुझ से बोला 'मिस्टर बदरी आप
ने हमारी फैक्ट्री देखी कि नहीं?' मेरे ना कहने पर उसने पहले
तो सब सालों को डांटा कि बदरी साब इतनी दूर से आये हैं और तुम ने इन को फैक्ट्री
नहीं दिखाई "
अगले
दिन सुबे सुबे दस पाँचेक मंत्री आके मुझे ले गए वहां। सब काँप रहे हुए कि कहीँ मैं
उनकी किसी बात की शिक़ायत राजा से ना कर दूं। मैंने कहा तुम मुझे फैक्ट्री ले जा
के छोड़ दो बाक़ी मैं अपने आप देख लूँगा। अब वो ठहरे राजा के नौकर और राजा मुझे अपना
दोस्त मानने वाला हुआ। बोले कि सर आप आराम से देखिए हम यहीं बैठते हैं।"
काका
ने एक अनुभवपूर्ण निगाह गोपाल के ऊपर डाली जो अब बिल्कुल किसी काठ मारे आदमी कि
तरह बैठा था : "अब साब क्या हुआ कि उस दिन हुआ इतवार। फैक्ट्री बंद ठहरी। बस
चौकीदार हुआ वहाँ। राजा का औडर हुआ। बिचारा क्या जाने क्या होने वाली हुई मशीन।
दबाया उसने बटन तो एक तरफ से ... वोई तेरे देखे मीट के डिब्बे दस्ताने जूते सब एक
तरफ से अन्दर जाने लग गए और दूसरी तरफ से म्यां म्यां करके जिंदे बकरे बाहर आने लग
गए। अरे साहब क्या बताऊं आपको ठाकुर साब ..."
इस
बार काका ने थान सिंह को संबोधित करते हुए कहा। थान सिंह थोडा शर्मा गया क्योंकि
उसे ठाकुर साब तो दूर किसी ने थान सिंह कह कर भी नही पुकारा था। बचपन से ही वह 'थनुआ' नाम से बुलाए जाने का आदी था। अल्मोड़ा वापस
आने के बाद कोई कोई उसके नाम में भगुआ भी जोड़ देता था खास कर के किसी ज़माने में
मोहब्बत में चोट खाए अब पगला चुके वकील साहब। ये वकील साब 'आऊंगी
कह रही थी, नही आयी' कहते हुए शायद एक
हजार सालों से अल्मोड़ा की सड़कों पर टहल रहे थे और कभी कभार थान सिंह की दुकान पर
कागज़ पेन मांगने आया करते थे (ये अलग बात है कि थान सिंह उन्हें कागज़ पेन के
बदले रम और कैम्पा कोला का घातक मिक्सचर ही पिला पाता था जिसका भरपूर सेवन करने के
बाद वे नजीर साहब की 'रीछ का बच्चा' को
बहुत बेसुरे ढंग से गाते हुए अंततः कचहरी की किसी परित्यक्त बेंच पर किसी मरियल
आवारा कुत्ते के साथ सो जाया करते थे। लेकिन बदरी काका और गोपाल का यह किस्सा हमें
वकील साब और थान सिंह के बारे में विस्तार से बात करने से बार बार रोकेगा इसलिये
इन महानुभावों कि कहानी फिर कभी। )
" वो
तो मुझको रात में आना था ... मेरे पैर लग गए ठहरे सारे मंत्री कि राजा साब से मत
कहना। ... लेकिन जो भी हुआ ठीक ही ठहरा ... चलो अपना गोपाल भी देख आया जापान।
क्यों भाई गोपाल ... गलत कह रहा हूँ ठाकुर साब ?"
उस
रात गोपाल को सपने में बदरी काका दिखाई दिए : महाभारत में जैसे अर्जुन को कृष्ण
भगवान् दिखे थे। गोपाल अगली सुबह काका को पास गया बोला: "कका माफ़ करना मैं
आपसे टक्कर लेने चला था। मुझे अपनी शरण में ले लो और अब मुझे भी अपनी विद्या
सिखाओ।"
जाहिर
है काका ने गोपाल को माफ कर दिया और आने वाले कई सालों तक उनके बीच गुरू शिष्य का
सनातन संबंध बना रहा।
(जारी)
7 comments:
"आगे का इंतज़ार रहेगा..."
प्रणव सक्सैना amitraghat.blogspot.com
"यार तू उसी फैक्ट्री की बात तो नहीं कर रहा जो वहां पिक्चर हॉल के आगे वाले मोड़ पे है?"
अद्भुत है कथावृत्त। नत्थू, बदरी, गनपत ये सब अमर चरित्र हैं। हमारे मालवा से लेकर सुदर अल्मोड़े तक। एक से क्रियाकलापों और स्वभाव के साथ।
सुदूर पढ़ें।
फिर आगे ?
bahut achchha, aage bhi i tzar hai.
shandar
हे हे हे!!! मतलब... this was toh too much...
वैसे मेरे पापा बताते हैं कि बचपन में उनके मुहल्ले में एक 'डिप्टी नाऊ' होते थे जो हर बात में "हूं हथो वहां" यानी मैं भ घटना के समय वहां था ज़रूर कहते थे चाहे बात भरत के बंटवारे की हो य इंदिरा के मर्डर की और दो-एक बार तो ऐसा हुआ कि उनके "हूं हथो वहां" कहने के बाद उन्हें बताना पडा कि डिप्टी चचा बात ामरीका य कि रूस की हो रही है..
मगर बदरी काका को तो ऐसा कह के भी नहीं टोका जा सकता था :P
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