Thursday, March 4, 2010

पूरन एन्ड जीवन भूसा स्टोर

मेरे शहर से करीब दस किलोमीटर दूर एक स्थान है - रानीबाग. रानीबाग में एच एम टी की घड़ी फ़ैक्ट्री है जिसका अब भूसा भर चुका है. यहां एक ऐतिहासिक महत्व का मन्दिर भी है. और हिन्दुओं का श्मशान भी.

श्मशान के गेट के ऐन सामने है मेरी यह प्रिय दुकान जिसकी तस्वीरें आपको दिखला रहा हूं.

भीतर के बोर्ड में कुमाऊंनी में लिखी इबारत का अर्थ हुआ : आपका ध्यान किधर है, पूरन एन्ड जीवन भूसा स्टोर यहां है. यह अलग बात है कि यह कुमाऊंनी इबारत थोड़ा ग़लत लिखी गई है. पर भूसे के ब्योपार में क्या सही और क्या ग़लत.




16 comments:

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

कल ही नैनीताल गया था और यह भूसा स्टोर देखा .यह ऎसी जगह है जिस पर सबकी नज़र पडती है

शरद कोकास said...

आयेंगे तो देखेंगे....।

शेफाली पाण्डे said...

hum itne saalon me bhi naa dekh paye...ab zaroor dekhenge

Bhupen said...

जय हो. अशोक दा आपने कबाड़खाने में अच्छा भूसा भरा है.

मुनीश ( munish ) said...

I am absolutely in luv with this Bhusa store and simply wanna have some fun in there !
Itz a 'maqool' location for a bloggers' meet !

मुनीश ( munish ) said...

Itz awesome man ! wow !! Juss wanna be there right now !

मुनीश ( munish ) said...

My nostrils can feel the raw smell of dry hay! itz magic by Jove , letz party there !

Ashok Pande said...

मुनीश भाई का आइडिया अत्युत्तम है. हिन्दी ब्गॉगिंग की सबसे बड़ी नेमत अर्थात दूसरे की खाल में भूसा भर सकने की छूट के मद्देनज़र मैं मुनीश भाई के प्रस्ताव का समर्थन करता हूं.

मुनीश ( munish ) said...

Thanks 4 d' vote of confidence ! Bhoooosa rules !!

मुनीश ( munish ) said...

What remains at the end of Day is nothing , but Bhoosa ! Itz d' ultimate 'hashra', d' final culmination of all things good or bad . Every idea, person and place is journeying towards 'Bhus' at its own sweet n' mellow pace !

vivek said...

यदि अशोक पांडे जी यह कमेंट पढें तो वे मुझसे इस नंबर पर बात करें.
०९९३१६११०४१
आलोक धन्वा

Unknown said...

हां बहुत अच्छा। इस माल को कुछ चुनिंदा खाली खोपड़ियों में भरा जाए फिर केसरिया धागे से टाइट सिला जाए। फिर उन्हें हारमोनियम की तरफ रवाना कर दिया जाए ताकि वे हुसैन के बहाने इसे वहां अल्पना के आकार में बिखेर सकें।

मुनीश ( munish ) said...

The post should have stayed a bit longer on top here .Rest of Blogosphere is ephimeral in comparison !

Mithilesh dubey said...

बढ़िया लगा देखकर ।

मुनीश ( munish ) said...

Unparalleled till date !

Rahgeer said...

हर विश्‍वविद्यालय के हिंदी विभाग के बाहर ये बोर्ड लगाना अनिवार्य कर देना चाहिए - तूमर ध्‍यान का छू.. पूरन एंड संपूरन भूसा स्‍टोर यां छू....