कल मैंने वायदा किया था कि आज आपको वृद्ध जागेश्वर मन्दिर की तस्वीरें दिखाऊंगा. वृद्ध जागेश्वर का मन्दिर जागेश्वरधाम से सड़क मार्ग से क़रीब दस किलोमीटर दूर पड़ता है. और पैदल रास्ते से कोई तीन किलोमीटर. आमतौर पर इस मन्दिर का ज़्यादातर पर्यटक गाइडों में ज़िक्र तक नहीं मिलता लेकिन यह मन्दिर जागेश्वर धाम से भी पुराना है और इसका महात्म्य कोई कम नहीं है. धारणा है कि शिवजी यहां ध्यान वगैरह के लिए आया करते थे.
मुख्य मार्ग से हटा होने के कारण इसकी देखभाल करने को कोई सरकारी व्यवस्था नहीं है. जागेश्वर धाम को तो ए. एस. आई. ने संरक्षण में लिया हुआ है लेकिन इस मन्दिर की देखरेख का काम मन्दिर के कैम्पस में रहने वाले पुजारी को करना पड़ता है.
बेहतरीन वास्तुशिल्प वाले इस मन्दिर की सुन्दरता की ऐसी तैसी करने को यहां के बाहरी पत्थरों पर किसी दानवीर ने चूना-गेरू पुतवा दिया है.
चलिये फ़ोटो देखी जाएं कुछेक:
9 comments:
अन्तिम फ़ोटो मे, "रोशनी के पथ" की दिशा स्पश्ट है /
ये भग्नावशेष धरोहर है हमारी । तस्वीरें अच्छी लगी ।
May SHIVA'S choicest blessings be showered upon Kabaad-pantheez. Bam Bhole !
ओ! पहले चित्र में जागेश्वर कितना विनम्र,कितना वीतरागी लग रहा है.अपने को समेटने का उपक्रम करता हुआ.
बाद के किसी चित्र में नंदी भी अपना हहराता,पुष्ट यौवन कूबड़ के साथ ही शिथिल कर चुका प्रतीत होता है.
जानकारी और चित्रों के लिए धन्यवाद.
i have been there too...great place..
बढ़िया हैं तस्वीरें। पहाड़ों के सुरम्य एकांत में ऐसे अनगिनत वास्तु बाट जोहते हैं अपने असली उद्धारकों की। पर धर्मप्राण शृद्धालु पहले ही इनका उद्धार कर चुके होते हैं।
जिनके लिये यह पत्थर नहीं हैं उन्हे नहीं पता कि इन पर जल या अन्य वस्तुएं चढ़ाने से इनका नुकसान होता है ।
Aapak mail-id mere paas nahi hai warna uspaar hi mail karta, magar yeh ek nusrat baba ke live interview ka link hai, ho sakta hai aapne dekha ho... Check this out
http://www.youtube.com/watch?v=CwEgFd74NWg
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