Thursday, April 22, 2010

प' मेरा साया तो हर शब तुझे मिला होगा

***खेतों में गेहूँ की फसल लगभग कट चुकी है लेकिन हर ओर भूसा बिखरा पड़ा है और ऊपर से गर्मी का अजब हाल है। कुल मिलाकर यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि साहब खेतों में भूसा अपनी जगह लेकिन गर्मी के मारे अपना तो भुस भरा हुआ है। ऐसे में कोई तो कुछ तो है जिनसे / जिससे थोड़ी राहत - सी मिल जाती है। इस तरह की चीजों में कविता और संगीत का अहम रोल है. सो आज और अभी अपनी पसंद की एक ग़ज़ल साझा करने का मन है. आइए इसे सुनें और अनदेखी सी रह गई एक खूबसूरत फिल्म 'अंजुमन' को याद करते हुए शायरी और संगीत की जुगलबंदी का आनंद लेवें> सदा आनंदा रहें यहि द्वारे...


गुलाब जिस्म का यूं ही नहीं खिला होगा।
हवा ने पहले तुझे फिर मुझे छुआ होगा।

शरीर- शोख किरन मुझको चूम लेती है,
जरूर इसमें इशारा तेरा छुपा होगा।

म्रेरी पसंद पे तुझको भी रश्क आएगा,
कि आइने से जहां तेरा सामना होगा।

ये और बात कि मैं खुद न पास आ पाई,
प' मेरा साया तो हर शब तुझे मिला होगा।

ये सोच - सोच के कटती नहीं है रात मेरी,
कि तुझको सोते हुए चाँद देखता होगा।

मैं तेरे साथ रहूंगी वफ़ा की राहों में,
ये अहद है न मेरे दिल से तू जुदा होगा।


* गायक - भूपिन्दर और शबाना आजमी

* शायर - शहरयार

*संगीतकार - खय्याम

2 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

गुलाब जिस्म का यूं ही नहीं खिला होगा।
हवा ने पहले तुझे फिर मुझे छुआ होगा।

वाह..वाह...!
डॉ.साहिब यह मखमली गीत सुनकर तो आनन्द ही आ गया!

Arvind Das said...

ख़ूबसूरत. धन्यवाद...