अनीता वर्मा जी समकालीन हिन्दी कविता में एक सुपरिचित नाम हैं. इस ब्लॉग पर उनकी कविताएं एकाधिक बार प्रस्तुत की गई हैं और भरपूर सराही गई हैं हाल ही में उन्हें शीला सिद्धान्तकर स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया है. उन्हें इस उपलब्धि के लिए कबाड़ख़ाना हार्दिक बधाई देता है. पढ़िये उनके पहले संग्रह से एक छोटी सी कविता:
बुज़ुर्गों से
हम चलते रहे अपनी चाल
आपको पीछे कर चुप्पी को अनसुनी कर
हम गिरते रहे अपने हाल
दरवेश क़िस्से सुनाते रहे नौजवान पेंचें लड़ाते रहे
इसी बीच बाज़ार में बिकने लगे नाती-पोते.
8 comments:
अनीता जी को बधाई !
कविता के लिये धन्यवाद
'हम गिरते रहे अपने हाल
दरवेश क़िस्से सुनाते रहे'
अनिता जी की kavita अच्छी लगी..चन्द पंक्तियों मे ek अध्याय लिखा हो जैसे.
**शीला सिद्धान्तकर स्मृति सम्मान से सम्मानित
होने पर बधाई.
गहरे भाव लिये कविता
गहरे भाव लिये कविता
इस खूबसूरत प्रस्तुति के लिये आप और अनिता जी दोनों बधाई स्वीकारें ।
बहुत खूब! अनिताजी को बधाई!
Beautiful !
अनीता जी को हार्दिक बधाई।
Post a Comment