Thursday, April 22, 2010

अनीता वर्मा की एक छोटी सी कविता

अनीता वर्मा जी समकालीन हिन्दी कविता में एक सुपरिचित नाम हैं. इस ब्लॉग पर उनकी कविताएं एकाधिक बार प्रस्तुत की गई हैं और भरपूर सराही गई हैं हाल ही में उन्हें शीला सिद्धान्तकर स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया है. उन्हें इस उपलब्धि के लिए कबाड़ख़ाना हार्दिक बधाई देता है. पढ़िये उनके पहले संग्रह से एक छोटी सी कविता:

बुज़ुर्गों से

हम चलते रहे अपनी चाल
आपको पीछे कर चुप्पी को अनसुनी कर
हम गिरते रहे अपने हाल
दरवेश क़िस्से सुनाते रहे नौजवान पेंचें लड़ाते रहे
इसी बीच बाज़ार में बिकने लगे नाती-पोते.

8 comments:

प्रीतीश बारहठ said...

अनीता जी को बधाई !

कविता के लिये धन्यवाद

Alpana Verma said...

'हम गिरते रहे अपने हाल
दरवेश क़िस्से सुनाते रहे'
अनिता जी की kavita अच्छी लगी..चन्द पंक्तियों मे ek अध्याय लिखा हो जैसे.
**शीला सिद्धान्तकर स्मृति सम्मान से सम्मानित
होने पर बधाई.

सु-मन (Suman Kapoor) said...

गहरे भाव लिये कविता

सु-मन (Suman Kapoor) said...

गहरे भाव लिये कविता

Asha Joglekar said...

इस खूबसूरत प्रस्तुति के लिये आप और अनिता जी दोनों बधाई स्वीकारें ।

अनूप शुक्ल said...

बहुत खूब! अनिताजी को बधाई!

ZEAL said...

Beautiful !

vandana gupta said...

अनीता जी को हार्दिक बधाई।