Thursday, August 19, 2010

लग्गी वालेया नूँ नींद नईं औंदी

* सचमुच , जिसके जी  को 'लग' जाए उसे नींद कहाँ आती है और ऐसी बेखबरी में  अगर आँख लग जाए तो...

* आइए आज सुनते हैं बेगम आबिदा परवीन के स्वर में  यह लोकगीत...


........तेरी किवें नी अँक्ख लग गई

3 comments:

मनोज कुमार said...

उत्तम प्रस्तुति।

Anonymous said...

Bahut pyaari cheezon ke liye bahut saara prem.

- Snowa Borno and Sainny Ashesh
from Himalayas

शायदा said...

मेरी अक्‍ख ते बिल्‍कुल नईं लग्‍गी....टाइम नोट करो पौने तीन होए ने।