शीर्षक पर ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत नहीं लेकिन फ़िलिस्तीनी महाकवि महमूद दरवेश की यह कविता इधर बहुत बहुत लम्बे अर्से से मेरी पढ़ी श्रेष्ठतम प्रेम कविता है. मुलाहिजा फ़रमाएं:
कामसूत्र से कुछ सबक
आसमानी प्याले के साथ उसका इन्तज़ार करो
ख़ुशबूदार ग़ुलाबों के बीच वसन्त की शाम उसका इन्तज़ार करो
पहाड़ चढ़ने का प्रशिक्षण पाए घोड़े के धैर्य के साथ उसका इन्तज़ार करो
किसी शहज़ादे के सौन्दर्यबोध और खुसूसियत से भरी रुचि के साथ उसका इन्तज़ार करो
बादल के सात तकियों के साथ उसका इन्तज़ार करो
उड़ती हुई निस्वानी ख़ुशबू के रेशों के साथ उसका इन्तज़ार करो
घोड़े की पीठ पर चन्दन की मर्दाना महक के साथ उसका इन्तज़ार करो
उसका इन्तज़ार करो और तनिक भी हड़बड़ाओ मत
अगर वह देर से आती है, उसका इन्तज़ार करो
अगर वह जल्दी आती है, उसका इन्तज़ार करो
उसकी लटों में गुंथी चिड़ियों को डराओ मत
फूलों की लकदक के चरम पर उसके बैठने की प्रतीक्षा करो
उसका इन्तज़ार करो ताकि वह इस हवा को सूंघ सके जो उसके हृदय के लिए इतनी अजनबी
इन्तज़ार करो कि वह बादल-दर-बादल पैरों से अपना वस्त्र उठाए
और उसका इन्तज़ार करो
दूध में डूबते चन्द्रमा को दिखाने को उसे छज्जे पर लेकर जाओ
उसका इन्तज़ार करो और शराब से पहले उसे पानी पेश करो
उसके सीने पर सो रहे दो परिन्दों पर निगाह मत डालो
इन्तज़ार करो और हौले से उसका हाथ छुओ जब वह संगेमरमर पर प्याला रखे
इन्तज़ार करो जैसे कि तुम उस के वास्ते ओस ले कर आए हो
उससे बातें करो जैसे कोई बांसुरी बातें करेगी किसी डरे हुए वायोलिन के डरे हुए तार से
जैसे कि तुम्हें पता हो कल का दिन क्या लाने वाला है
इन्तज़ार करो और अंगूठी-दर-अंगूठी उसके वास्ते रात को चमकाओ
उसका इन्तज़ार करो
जब तक कि रात तुम से इस तरह बातें न करने लगे:
तुम दोनों के अलावा कोई भी जीवित नहीं है
सो हौले हौले उसे ले जाओ उस मौत की तरफ़ जिसे तुम इस कदर चाहते हो
और इन्तज़ार करो.
*(निस्वानी: स्त्रियोचित)
(चित्र: "वेटिंग फ़ॉर ट्रू लव" शंघाई के कलाकार झा ऊ की
पेन्टिंग)
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पिछली सदी के खासे विख्यात दार्शनिक रोलां बार्थ की एक किताब है ’अ लवर्स डिस्कोर्स’. उसके किसी शुरुआती अध्याय में एक क्लासिकल प्रेमी को को वे यूं परिभाषित करते हैं:
"A lover is the one who waits."
फ़ुटनोट के तौर पर इस बात का ज़िक्र करने का मोह-संवरण न कर सका.
7 comments:
ultimate creation..... it shows the depth of your likings
अन्त में नश्तर चुभो दिया।
इसी का इंतेज़ार कर रहा था .....!
तुम दोनों के अलावा कोई भी जीवित नहीं है
सो हौले हौले उसे ले जाओ उस मौत की तरफ़ जिसे तुम इस कदर चाहते हो
और इन्तज़ार करो.
ओह ! यहाँ तो गज़ब कर दिया।
क्या ढंग है . . नाज़ुक व गहरी !
magar mardon main itne intezaar karne ka sahas ab kahi nahi dikhta.
koi ye bataye ki itne besabra kyon hote hain ki unhen kavitaon ke jariye samjhana pade....Bhrashtindia.blogspot.com
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