Sunday, January 2, 2011

सात स्त्रियों का सपना देखो

हम यात्राएं करते हैं बाकी लोगों की तरह

महमूद दरवेश

हम यात्राएं करते हैं बाकी लोगों की तरह; लेकिन लौटते शून्य में हैं. जैसे कि
यात्रा बादलों का कोई रास्ता हो. हमने दफ़ना दिया अपने प्रियजनों को बादलों की छांह में पेड़ों की जड़ों के बीच
हमने अपनी पत्नियों से कहा: जन्म देती रहो सैकड़ों बरसों तक ताकि हम इस यात्रा को ख़त्म कर सकें
एक देश पहुंचने के एक घन्टा पहले, असम्भव से फ़क़त एक मीटर पहले!
हम यात्राएं करते हैं भक्तिगीतों के रथों में, फ़रिश्तों के तम्बुओं में सोते हैं, और पुनरुज्जीवित होते हैं
जिप्सियों की भाषा में.
हम दूरी को मापते हैं एक जादुई चिड़िया की चोंच से, और गाते हैं ताकि दूरी भूल जाए हमें
हम सफ़ाई करते हैं चांदनी की. तुम्हारी सड़क लम्बी है, सो सात स्त्रियों का सपना देखो ताकि
इस लम्बी यात्रा को अपने कन्धों पर लाद कर ले जा सको. खजूर के पेड़ों को हिलाकर रख दो उन के लिए.
तुम नामों को जानते हो, और यह भी कि उनमें से गैलिली के पुत्र को कौन जन्म देगी.
शब्दों का है हमारा मुल्क: बोलो. बोलो. मुझे एक पत्थर पर सुस्ता लेने दो अपनी सड़क को.
शब्दों का है हमारा मुल्क: बोलो. बोलो. देखने दो मुझे इस यात्रा का अन्त.

4 comments:

Rahul Singh said...

बिना तैयारी के इस मनोदशा में पहुंचना आसान नहीं.

प्रवीण पाण्डेय said...

अपना जीवन व्यक्त यात्रा है, शेष सब अव्यक्त ही चल रहा है।

नया सवेरा said...

... umdaa !!

दीपशिखा वर्मा / DEEPSHIKHA VERMA said...

हम यात्राएं करते हैं भक्तिगीतों के रथों में, फ़रिश्तों के तम्बुओं में सोते हैं, और पुनरुज्जीवित होते हैं
जिप्सियों की भाषा में.
कृति अनमोल है !!!