Wednesday, January 19, 2011

उकाब और अबाबील

एक अबाबील और एक उकाब (गरुड़) पहाड़ी चोटी पर मिले | अबाबील ने कहा, "आपका दिन शुभ हो, श्रीमान !" और उकाब ने उसकी ओर हिकारत भरी नजरों से देखा और धीमे से कहा, "दिन शुभ हो |"

और अबाबील ने कहा, "मुझे आशा है कि आपकी जिंदगी में सब ठीक चल रहा है |"

"हाँ" उकाब ने जवाब दिया "हमारे साथ सब सही चल रहा है | लेकिन क्या तुम जानते नहीं कि हम चिड़ियों के राजा हैं, और तुम्हें तक तक हमसे मुखातिब नहीं होना चाहिए जब तक हम खुद तुम्हें इजाज़त न दें ?"

अबाबील ने कहा, "मेरे ख़याल से हम सब एक ही परिवार से हैं |"

उकाब ने नफरत से उसे देखा और कहा, "ये तुमसे किसने कहा कि हम और तुम एक ही परिवार से हैं ?"

तभी अबाबील ने जवाब दिया, "और मैं आपको बता दूँ, कि मैं आपसे कहीं अधिक ऊंचा उड़ सकता हूँ, मैं गा सकता हूँ तथा दुनिया के बाकी प्राणियों को ख़ुशी दे सकता हूँ | और आप न तो सुकून देते हैं , न ख़ुशी |"

उकाब को गुस्सा आ गया, और उसने कहा, "सुकून और ख़ुशी ! क्षुद्र अहंकारी जीव | अपनी चोंच के एक हमले से मैं तुम्हारा नामोनिशान मिटा सकता हूँ | आकार में मेरे पंजों के बराबर भी नहीं हो तुम |"

यह सुनते ही अबाबील उड़ कर उकाब की पीठ पर बैठ गया | और उसके पंख नोचने लगा | उकाब अब परेशान हो गया था, और तेज़ी से ऊंची उड़ान भरने लगा ताकि अपनी पीठ पर बैठे अबाबील से छुटकारा पा सके | लेकिन उसे कोई सफलता नहीं मिली | आख़िरकार, हारकर वह उसी पहाड़ी चोटी की चट्टान पर गिरकर अपने भाग्य को कोसने लगा | 'क्षुद्र जीव' अभी भी उसकी पीठ पर सवार था |

उसी समय वहाँ से एक छोटा कछुआ गुजरा, ये दृश्य देखकर वह जोर से हँसा, और इतनी जोर से हँसा कि दोहरा होकर पीठ के बल गिरते गिरते बचा |

उकाब ने कछुए की तरफ नीचे देखा और कहा, "जमीन पर रेंग के चलने वाले, तुम्हें किस बात पर इतनी हँसी आ रही है ?"

और तब कछुए ने जवाब दिया, "मैं देख रहा हूँ कि तुम घोड़े बन गए हो , और वो छोटी चिड़िया तुम पर सवारी कर रही है, छोटी चिड़िया तुम दोनों में बेहतर साबित हो रही है |"

ये सुनकर उकाब ने उससे कहा, "जाओ , जाओ , अपना काम करो | ये मेरे भाई अबाबील और मेरे बीच की बात है | ये हमारे परिवार का मामला है |"

10 comments:

नीरज गोस्वामी said...

रोचक शब्दों में जीवन के गहन अर्थ उजागर किये हैं आपने...बधाई
नीरज

अजेय said...

बहुत बढ़िया. ठीक ऐसे मौकों पर ही रिश्तेदारियाँ याद आती हैं. बल्कि उस की दुहाई दी जाती है. लेकिन उकाब अभी भी बड़ी गलत फहमी मे है.

vandana gupta said...

वक्त के साथ कैसे फ़ितरत बदल ली जाती है…………सुन्दर संदेश ।

जीवन और जगत said...

mazedaar aur prerak kahani hai aur mere liye nayi bhi.

शिवा said...

बहुत बढ़िया ,कमाल की प्रस्तुति
सुन्दर संदेश ।

मुनीश ( munish ) said...

Lion`s share is often snatched by hyenas or even wolves and even dogs unitedly overcome a tiger.

abcd said...

ditto to munishji's comment.

प्रवीण पाण्डेय said...

पारिवारिक मामला है।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

पारिवारिक मामला कह कर ही अत्याचार होता रहता है ..अच्छी प्रस्तुति

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

sundar lahje me kahi gayee prerak
katha...