Monday, March 7, 2011

अब जानिए ग्लूस्काबे की पूरी कहानी

लातिन अमेरिकी मिथकों की हालिया श्रृंखला में एक जगह ग्लूस्काबे का ज़िक्र आता है. ग्लूस्काबे (अथवा ग्लूस्कैप या क्लोस्कोम्बा या क्लूस्कैप या ग्लूस्काबी) अमेरिकी आदिवासी समूह वाबांकी का मिथकीय सांस्कृतिक महानायक है. जोसेफ निकाला ने अपनी किताब 'द रेड मैन' में उसे आदिवासी राष्ट्र के सर्जक के रूप में चित्रित किया है.


उत्तरी अमेरिका के अबेनाकी और कनाडा के पासामाकोडी और मिक्माक आदिवासी भी इसे काफी महत्वपूर्ण मानते हैं.

उसके नाम का अर्थ हुआ "शून्य से रचा हुआ मनुष्य". शाब्दिक अर्थ हुआ "केवल वाणी द्वारा रचा गया मनुष्य"

अबेनाकी लोग मानते हैं कि ताबाल्दाक द्वारा मनुष्यों का सृजन किये जाने के बाद उसने अपने शरीर से झड़ी धूल से ग्लूस्काबे और उसके जुड़वां भाई माल्सुमिस की सर्जना की. ग्लूस्काबे को उसने अच्छा संसार रच पाने की शक्ति दी जबकि उसका जुड़वां भाई आज भी खराब संसार रचने की तरकीबों लें लगा हुआ है.

ग्लूस्काबे ने यह जानकारी पा ली थी की ज़रुरत से ज़्यादा शिकार करने वाले शिकारी हमारी पारिस्थिकी को तबाह कर उस अच्छे संसार को ध्वस्त करते हैं जिसके निर्माण में वह जुटा हुआ है. ग्लूस्काबे ने अपनी दादी वुडचक से इस बाबत सलाह मांगी. दादी ने अपने पेट से सारे बालों को उखाड़ कर उनसे एक जादुई थैला बुना. ग्लूस्काबे ने सारे शिकारी जानवरों को इस थैले में कैद कर लिया और ने दादी से अनुरोध किया की वे ऐसा कुछ करें की मनुष्य शिकार करना पूरी तरह छोड़ दें. दादी ने ग्लूस्काबे को डांटते हुए कहा कि पशुओं के बिना मनुष्य जाति का खात्मा हो जाएगा. उन्होंने बताया कि मनुष्य को ताकतवर बने रहने के लिए शिकार करने की ज़रुरत होती है. यह सुन कर ग्लूस्काबे ने पशुओं को मुक्त कर दिया.

बाद में ग्लूस्काबे ने उस विशालकाय पक्षी को कैद करने का फैसला किया जिसे ताबाल्दाक ने एक पहाड़ कि चोटी पर धरा हुआ था. अपने पंखों की फडफड से यह पक्षी बुरा मौसम ले आता था. ग्लूस्काबे ने इया बाजनुमा पक्षी को पकड़ कर उसके पंख बाँध दिए. ऐसा करते ही हवा थम गई. जल्द ही हवा बेहद गर्म और भारी होने लगी जिस वजह से सांस लेना मुश्किल होने लगा. ग्लूस्काबे ने बाज के पंखों को बस इतना ढीला किया कि मौसम सुहाना हो जाए और मानव-जाति जीवित रह सके.

आधुनिक अबेनाकी लोग के अनुसार ग्लूस्काबे गोरी चमड़ी वालों से बेतरह नाराज़ रहता है क्यूँकी उन्होंने उसके बनाए नियमों का पालन नहीं किया.

मिक्माक आदिवासियों के एक मिथक के अनुसार एक बार अपनी बाहें पसारे ग्लूस्काबे चार सौ नब्बे दिन और रात उगते सूरज की दिशा में देखता रहा. उसके बाद दादी नागामी का जन्म हुआ - वह एक चट्टान पर ओस की एक बूँद से बूढी स्त्री की तरह पैदा हुई. अगले दिन समुन्दर के झाग से भतीजे नाताओ-न्सेन का जन्म हुआ. उसके अगले दिन धरती के पौधों से सारे मिक्माक आदिवासियों की माता ने जन्म लिया.

मिक्माक मिथकों में ग्लूस्काबे को विराट देह का स्वामी बताया गया है और वह विशाल प्राकृतिक आकृतियों की रचना कर सकता था. ऐसा करते हुए उसे अपने दुष्ट जुड़वां भाई से भी जूझना होता था जो चाहता था की नदियाँ टेढ़ी मेढ़ी बहा करें और पर्वत अभेद्य बन जाएं. एक कथा के अनुसार ग्लूस्काबे ने इस जुड़वां भाई को पत्थर में बदल दिया था.

एक और मिथक के अनुसार जब ग्लूस्काबे ने संसार में रंग भरने का काम पूरा कर लिया तो सारे रंगों को मिलाकर आबेग्वेट की रचना कर दी जो उसका प्रिय द्वीप बना. यह द्वीप फिलहाल कनाडा के सुन्दर प्रिंस एडवर्ड आइलैंड्स के नाम से जाने जाते हैं.

जब ग्लूस्काबे सोया करता था तो नोवा स्कॉशिया उसका बिस्तर होता था जबकि प्रिंस एडवर्ड आइलैंड्स उसके तकिये का काम करते थे.

ग्लूस्काबे को धरती से एक दुष्ट मेंढक दैत्य से बचने के लिए भी याद किया जाता है जिसने धरती का सारा पानी पी लिया था. ग्लूस्काबे ने इस दैत्य को मारकर पानी को मुक्त किया. कुछ पशु जो पानी के निकलते समय उसमें कूदे थे वे मछली और अन्य जलचरों में तब्दील हो गए.

मिक्माक लोगों को ग्लूस्काबे ने प्रस्तरकला, अच्छाई-बुराई, आग, तम्बाकू, मछलियाँ पकड़ने के जालों और नौकाओं के बारे में ज्ञान दिया. इस कारण उसे ये आदिवासी एक सांस्कृतिक नायक के तौर पर पूजते हैं.

क्षेत्र की सबसे बड़ी नदी पेनोब्सकॉट के तटों के कीचड से पहले मानवों का निर्माण किया. ग्लूस्काबे द्वारा तमाम पशुओं को उनकी भिन्न आकृतियाँ प्रदान करने सम्बन्धी अनेक मनोरंजक किस्से प्रचलित हैं.

दैत्य मेंढक से युद्ध के उपरान्त ही ग्लूस्काबे ने ही पेनोब्सकॉट नदी की सर्जना की थी.

कनाडा और अमेरिका के घटते जाते आदिवासी क्षेत्रों में इधर आधुनिक पर्यटन बहुत बढ़ा है और ग्लूस्काबे के नाम पर कई जहाज़ आपको बाकायदा ग्लूस्काब-ट्रेल पर ले जाते हैं.

लेकिन खबरदार! ग्लूस्काबे इन दिनों तथाकथित आधुनिक/ विकसित समाज से नाराज़ चल रहा है.

2 comments:

abcd said...

अ.अ..अ..त.त...त.त..त.प.प.प..प.प
यथा--धमकी,तथा--चित्र /

प्रवीण पाण्डेय said...

अहा।