Tuesday, March 29, 2011

हम भगवान को ई-मेल कर देंगे

ईराकी मूल की कवयित्री दून्या मिख़ाइल का नाम आप लोगों के लिए नया नहीं है. यहां उनकी कुछेक कविताएं आप पढ़ चुके हैं. अंग्रेज़ी और अरबी दोनों भाषाओं में समान अधिकार से लिखने वाली दून्या इधर के दोएक दशकों में अरब संसार में उपजी असाधारण कवियों की जमात में जगह पाने की सच्ची हक़दार हैं. उन्हीं की अनुमति से अभी मैंने उनकी एक पुस्तक का अनुवाद समाप्त किया है. पेश है उनकी एक कविता -


एक ज़रूरी कॉल

यह एक ज़रूरी कॉल है
अमेरिकी सैनिक लिन्डी के लिए
कि वह तुरन्त अपने वतन लौट जाए.
वह दिल में एक खतरनाक वायरस
की बीमारी से ग्रस्त है.
वह गर्भवती है
और धंस रही है गहरे कीचड़ में.
वह धंसती जाती है गहरे और भी गहरे
जब वह सुनती है: "बहुत बढ़िया!"
जल्दी करो, लिन्डी,
अब वापस चली जाओ अमेरिका.
फ़िक्र न करो,
तुम्हारी नौकरी कहीं नहीं जा रही.
क़ैदख़ाने हर जगह हैं
बड़े-बड़े छेदों वाले क़ैदख़ाने
और विराट कांप,
और लगातार-लगातार कौंधें,
और थरथराहटें जो
बिना किसी ज़ुबान के
ब्रह्माण्ड में भेज रहे हैं सन्देश.
फ़िक़्र न करो,
तुम्हें ज़बरन कोई नहीं कहेगा
चिड़ियों को दाना डालने को
जब तुम लादे होगी एक बन्दूक.
जब तुम युद्ध में पहने जाने वाले बूटों में होओगी
कोई भी विवश नहीं करेगा तुम्हें
पर्यावरण के लिए काम करने को.
फ़िक्र मत करो,
हम भगवान को ई-मेल कर देंगे
और उसे बता देंगे
कि बर्बर ही थे
इकलौता समाधान.
फ़िक्र मत करो
बीमारी की छुट्टी ले लो
और आज़ाद करो अपने शिशु को
अपनी देह से,
लेकिन उन हैबतनाक तस्वीरों को
छिपाना मत भूलना,
कीचड़ में तुम्हारे नाचने की तस्वीरें.
उन्हें बच्चे या बच्ची की निगाहों से
दूर ही रखना.
छिपा लेना उन्हें प्लीज़
तुम नहीं चाहोगी कि तुम्हारी सन्तान चिल्ला कर कहे -
क़ैदी नंगे हैं ...

[लिन्डी: लिन्डी इंग्लैण्ड (ऊपर आप उसकी तस्वीर देख सकते हैं), अबू ग़रेब जेल कांड में शामिल सात सैन्य अफ़सरों में एक. तस्वीरों में वह अन्य अमेरिकी सिपाहियों के साथ ईराक़ी क़ैदियों को यातना देती हुई पाई गई थी. यह अब तक साफ़ नहीं हो सका है कि इन लोगों ने पेन्टागन या व्हाइट हाउस के आदेशानुसार यह जघन्य काम किया था या नहीं.]

(*यह सम्भव है कि आपको यहां दून्या मिख़ाइल की कुछ और कविताएं लगातार पढ़ने को मिलती रहें.)