Tuesday, April 12, 2011

आज मोरे घर आए रे बलमा

रामपुर-सहसवान घराने के संस्थापक उस्ताद इनायत हुसैन ख़ान साहेब के परपोते राशिद ख़ान १ जुलाई १९६६ को बदायूं में जन्मे थे. महान संगीतकारों के ख़ानदान में जन्मे राशिद को शुरूआत में संगीत से ज़रा भी लगाव न था. उनकी प्रतिभा को एक और बड़े गायक उनके चाचा उस्ताद ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान ने पजले पहल पहचाना. औपचारिक रूप से उनके चचेरे दादा उस्ताद निसार हुसैन ख़ान साहेब ने उनके गुरु की भूमिका निभाई.


आज राशिद ख़ान उस्ताद राशिद ख़ान हैं और अपनी पीढ़ी में सम्भवतः सबसे प्रतिभाशाली भी. कुछ बरस पहले संगीत के पुरोधा पंडित भीमसेन जोशी ने उस्ताद राशिद ख़ान के बारे में कहा था कि "कम से कम एक कलाकार तो आपको नज़र आता ही है जिसे देख कर लगता है कि भारतीय शास्त्रीय संगीत का भविष्य सुरक्षित है."

राग मालकौंस में गाई गई उस्ताद राशिद ख़ान की एक रचना -

4 comments:

वाणी गीत said...

वाह! उस्ताद वाह !

Smart Indian said...

वाह! बहुत सुन्दर!

जीवन और जगत said...

मुझे शास्‍त्रीय संगीत का क ख ग भी पता नहीं है। लेकिन न जाने क्‍यों, सुनने में बड़ा अच्‍छा लगता है।

प्रवीण पाण्डेय said...

आपका ऑडियो चैनल बहुत प्रभावित कर रहा है।