कम्पोज़ीशन पुरानी है. और बेहद मशहूर. मुग़ल-ए-आज़म में इसे लता मंगेशकर ने स्वर दिया था. इस पोस्ट में इसे गा रहे हैं उस्ताद ग़ज़ल गायक ख़ानसाहेब मेहदी हसन ख़ान. ध्यान लगा के सुनियेगा उस्ताद इस दुर्लभ प्रेशकश में मिर्ज़ा ग़ालिब और मीर तक़ी मीर की शायरी को भी पिरोते चलते हैं -
4 comments:
वाह वाह सर , बड़े दूर की कौड़ी लाये हैं !
बेहतरीन आवाज।
मेरे मन में खुशियां बिखेर गयो रे ...
हिला दिया अशोक भाई! जियो!
वाक़ई
बहुत ही दुर्लभ , नायब प्रस्तुति है
वाह वा !!
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