Friday, April 15, 2011

मैं चोरी चोरी तेरे नाल ला लइयां अक्खां वे


अपने अज़ीज़ दोस्त परमजीत सिंह उर्फ़ बन्टी बख़्शी से मैंने बहुत कुछ सीखा है. टेलीफ़ोन पर हमारी बातचीत अक्सर रात के ऐसे पहर होती है जब जागनेवालों को दुनिया में झक्की और पागल समझा जाता है - यानी रात दो बजे बाद. जब हम साथ होते हैं तो गाने-बजाने-सुनने का जो सिलसिला चलता है उस में रात की नींद के लिए कोई जगह नहीं होती.

यह सब फ़िज़ूल भी नहीं होता. किसी न किसी स्तर पर ख़ास क़िस्म से आप परिष्कृत होते चलते हैं.

ऐसी ही थी कल की रात. बन्टी ने मुझे पाकिस्तान की अत्यन्त आकर्षक और प्रतिभावान अभिनेत्री, चित्रकार, गायिका और मॉडल मीशा शफ़ी से परिचित कराया. यह पाकिस्तान में फ़्यूज़न संगीत से जुड़े एक ग्रुप कोक स्टूडियो से परिचित होना भी था. आबिदा परवीन और आरिफ़ लोहार जैसे कलाकार कोक स्टूडियो से जुड़ाव रखते हैं तो जाहिर है आप इसे ग़ैरसंजीदगी से नहीं ले सकते.

हो सकता है शुद्धतावादियों को कोई आपत्ति हो लेकिन मुझे तो सूफ़ियाना संगीत के साथ इस तरह के प्रयोग भी भले लगते हैं. कम से कम वे ज़ोर का झटका टाइप नए कूड़संगीत (? यदि उसे संगीत कहा जाए तो) से लाख गुना बेहतर होते हैं.

कोक स्टूडियो, आरिफ़ लोहार इत्यादि के बारे में बाद में बताऊंगा. पहले सुनिये मीशा शफ़ी को. धुन वही है जो गुलज़ार ने अपनी एक फ़िल्म के गीत यारा सीली सीली रात का जलना में इस्तेमाल की थी. अलबत्ता मूल धुन असाधारण लोकगायिका रेशमा की बनायी हुई है.



डाउनलोड यहां से करें -

http://www.divshare.com/download/14574181-720

मेरी व्यक्तिगत राय है इसे आप यूट्यूब पर भी ज़रूर देखें -


कुछेक मित्रों ने इस गीत के बोल और उनका अर्थ पूछा है. ये रहे बोल -

मैं चोरी चोरी तेरे नाल ला लइयां अक्खां वे

दुनिया तौ जखां ते
मैं प्यार तेरा रखां
प्यार पिच्छे हर कोई मिट्टयां वी छांदा
जिस दा न इक पल वी मेरी जान दा
फैर वी मैं झल्ली हो के राह तेरा तक्कां


और यह रहा भावानुवाद जिसमें हुई किसी भी तरह की कमी/ख़ामी के लिए मुझे ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है -

बिना किसी के जाने मैं तेरे संग आखें लड़ा आई.
इस मोहब्बत को मैं दुनिया से छिपा के रखूंगी
मगर तेरे लिए ये मोहब्बत महफ़ूज़ रहेगी
मोहब्बत के पीछे मर मिटने की चाह में हर कोई मिट्टी छानता रहता है
मेरी ज़िन्दगी का एक भी पल अब मेरा नहीं है
तब भी बिल्कुल मामूली सी मैं यहां तेरा रास्ता ताका करती हूं

3 comments:

पारुल "पुखराज" said...

शानदार आवाज़ ....कोक स्टूडियो पर आबिदा को सुना है पहले .

बाबुषा said...

वाह गुरु!

सुशील छौक्कर said...

शानदार