Sunday, April 17, 2011

मंज़िल-ए-सूफ़ी


कोक स्टूडियो की प्रस्तुतियों की सीरीज में आज सनम मारवी गा रही हैं बाबा सच्चल सरमस्त की रचना मंज़िल-ए-सूफ़ी

5 comments:

पारुल "पुखराज" said...

वाह ! क्या बात है ..शुरुआती लगावट एक दम आबिदा सी ...

love verma said...

kya bat hai,kya avaz hai.
kripiya meesha shafi ka yah geet bhi post kareyah

http://www.youtube.com/watch?v=029VRjOdRYA

अजेय said...

यह आबिदा जैसा तो नही है, लेकिन बेहद अच्छी कम्पोज़िशन. मज़ आया.

बाबुषा said...

बेहतरीन sunday.

My 'sunday anthem' today ..

'एक साथ- आँखों से काफ्का पढ़ो ..कानों से 'सूफी ए मंजिल' सुनो और रूह से 'रूमी ' हो जाओ !'

प्रवीण पाण्डेय said...

स्वरों में डूबे भावों के शब्द।