विनायक सेन को सुप्रीम कोर्ट ने ज़मानत दे दी है.
इस आशय का आदेश देते हुए न्यायालय ने कहा है कि उनके ख़िलाफ़ देशद्रोह के कोई सुबूत नहीं हैं. निचली अदालतों को नसीहत करते हुए यह भी कहा गया कि जिस तरह गांधी की किताबें रख लेने भर से कोई गांधीवादी नहीं हो जाता उसी तरह नक्सली साहित्य रखने से कोई नक्सलवादी नहीं बन जाता.
अपने जीवन के चालीस साल छत्तीसगढ़ के आदिवासी समाज की सेवा में लगा चुके डॉक्टर सेन को जिस तरह राजनैतिक षड्यंत्र के तहत फंसाया गया उस पर काफी चर्चा होती रही है. फ़िलहाल यह छोटी सी पोस्ट डॉक्टर सेन के सम्मान में.
विनायक सेन जिंदाबाद
4 comments:
विनायक सेन जिंदाबाद
कुछ शर्म अभी बाकी है.
जिंदाबाद!
Cheerzzz Binayak Da !
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