Saturday, May 7, 2011

यह उसकी वजह से है कि भूखे हो तुम

आधुनिक सन्दर्भों में गहरे राजनैतिक अर्थ समेटे यह दो कविताएं युवा पोलिश कवि मार्सिन स्विएतलिकी की लिखी हुई है. इस कवि का विस्तृत परिचय और उनकी कुछेक कविताएं थोड़ी देर में.

मैक्डोनल्ड्स*

मुझे तुम्हारे दांतों के निशान मिलते हैं एक दूसरे शहर में
मुझे तुम्हारे दांतों के निशान मिलते हैं मेरे बाज़ू पर
मुझे तुम्हारे दांतों के निशान मिलते हैं आईने पर
कभी कभी मै होता हूं एक हैम्बर्गर

कभी कभी मै होता हूं एक हैम्बर्गर
जिस से बाहर निकला चाहता है सलाद का पत्ता
और टपकती हुई सरसों
कभी कभी मैं घातक तरीके से
बाकी सारे हैम्बर्गरों जैसा होता हूं.

पहली परत, त्वचा
दूसरी परत, खून
तीसरी परत, हड्डियां
चौथी परत, आत्मा
और इस सारे के नीचे, निशान तुम्हारे दांतों के.


(*एक ज़माने में मैक्डोनल्ड्स को पोलैण्ड में पश्चिम की अप्राप्य वस्तुओं में आदर के साथ शुमार किया जाता था. जब १९८० के दशक में यह कम्पनी अन्ततः पोलैण्ड पहुंची उसके साथ प्रेम-घृणा का वही व्यवहार हुआ जैसा समूचे यूरोप में अब तक होता है. पोलैण्ड के ऐतिहासिक नगर क्राकोव में सिर्फ़ एक मैक्डोनल्ड्स का खोमचा खोलने की इजाज़त दी गई. ऊपर उसी की तस्वीर है)

ऐसा क्यूं है

ऐसा क्यूं है कि तुम्हारी चिन्ता इस तरह के शब्दों
के आगे-पीछे घूमा करती है - कारागार, आन्दोलन,
पश्चिम, पूर्व, आज़ादी, भोजन,
फ़लां या फ़लां चीज़ की उपलब्धता
राजनैतिक बन्दी?
छोटे शब्द हैं ये, ये सबसे छोटे शब्द हैं,
ऐसा क्यूं है कि तुम्हारी जीभ इन्हीं पर अटक गई?
क्या तुम्हें मालूम नहीं कि यह सारा कुछ
एक चुलबुली वैश्या के काबू में है
वही जिसे तुम प्यार करते हो, या शायद ऐसी चाह रखते हो
जो असल में उस आदमी को छांटती है
जिसे तुम नफ़रत करते हो, वह जो उसके साथ बदसुलूकी करता है
और उस की देह में कीलें ठोंकता है
यह उस वैश्या की वजह से है कि तुम इस कारागार में हो
यह उसकी वजह से है कि भूखे हो तुम.

3 comments:

जीवन और जगत said...

दोनों कवितायें बढि़या हैं, लेकिन हैम्‍बर्गर वाली ज्‍यादा अच्‍छी लगी।

अजेय said...

आहा , कविता..... भूख भी तो उस चुल्बुली वैश्या की वजह से है. उस वैश्या को हम सब चाहते हैं. गज़ब!

प्रवीण पाण्डेय said...

निकले हुये दातों का निशान।