Monday, May 9, 2011
इल पोस्तीनो, नेरूदा, मासीमो त्रोइसी, एन्डी गार्सीया - एक फ़िल्म, एक कविता
सन १९९४ में एक बेहतरीन इतालवी फ़िल्म आई थी - इल पोस्तीनो (डाकिया) . पाब्लो नेरूदा द्वारा इटली के एक समुद्री गांव में बिताए गए कुछ महीनों की थीम पर बनी इस फ़िल्म को अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति मिली थी. फ़िल्म एक अस्थाई डाकिये मारियो रुओप्पोलो (मासीमो त्रोइसी द्वारा अभिनीत) और पाब्लो नेरूदा (विख्यात फ़्रेंच कलाकार फ़िलिप नोइरे द्वारा अभिनीत) के बीच उपजे बेहद संवेदनशील सम्बन्ध की दास्तान है. यह मारियो और गांव के रेस्त्रां की की बूढ़ी मालकिन की सुन्दर भतीजी बेयात्रीचे (जिसका रोल मारीया ग्रात्सीया कुचीनोता ने निभाया था) की मिठासभरी प्रेमकथा भी है जिसका अन्त बहुत भावुक कर जाता है. मासीमो त्रोइसी को इस फ़िल्म ने अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति दिलाई पर वे उसका आनन्द उठाने को जीवित ही नहीं बचे. इल पोस्तीनो की मुख्य फ़िल्मिंग के बारह घन्टों बाद रोम में अपनी बहन के घर पर दिल का दौरा पड़ने से उनका देहान्त हो गया. वे कुल इकतालीस साल के थे. बतलाया यह जाता है कि फ़िल्म को पूरा करने के उद्देश्य से उन्होंने एक ज़रूरी सर्जरी को टाले रखा था.
जिस किसी ने यह फ़िल्म देखी होगी वह त्रोइसी के अभिनय को ताज़िन्दगी नहीं भूल सकता. इस रोल के लिए वे मरणोपरान्त ऑस्कर के लिए नामित हुए थे. उन पर एक पोस्ट कभी अलग से लगाऊंगा जल्दी.
मुझे सुखद आश्चर्य हुआ जब मुझे यूट्यूब पर आज पाब्लो नेरूदा की एक बेहद मशहूर कविता पर इसी फ़िल्म की छवियों से बना मोन्ताज मिल गया. ऊपर से एन्डी गार्सीया की आवाज़.
Pablo Neruda - Tonight I Can Write The Saddest... by poetictouch
कभी इसका अनुवाद मैंने किया था - उसे भी यहां लगाने की गुस्ताख़ी कर रहा हूं -
लिख सकता हूं आज की रात बेहद दर्दभरी कविताएं
लिख सकता हूं आज की रात बेहद दर्दभरी कविताएं
लिख सकता हूं उदाहरण के लिये: "तारों भरी है रात
और तारे हैं नीले, कांपते हुए सुदूर"
रात की हवा चक्कर काटती आसमान में गाती है.
लिख सकता हूं आज की रात बेहद दर्दभरी कविताएं
मैंने प्रेम किया उसे और कभी कभी उसने भी प्रेम किया मुझे
ऐसी ही रातों में मैं थामे रहा उसे अपनी बांहों में
अनन्त आकाश के नीचे मैंने उसे बार-बार चूमा.
उसने प्रेम किया मुझे और कभी-कभी मैंने भी प्रेम किया उसे.
कोई कैसे प्रेम नहीं कर सकता था उसकी महान और ठहरी हुई आंखों को.
लिख सकता हूं आज की रात बेहद दर्दभरी कविताएं.
सोचना कि मेरे पास नहीं है वह. महसूस करना कि उसे खो चुका मैं.
सुनना इस विराट रात को जो और भी विकट उसके बग़ैर.
और कविता गिरती है आत्मा पर जैसे चारागाह पर ओस.
अब क्या फ़र्क़ पड़ता है कि मेरा प्यार संभाल नहीं पाया उसे.
तारों भरी है रात और वह नहीं है मेरे पास.
इतना ही है. दूर कोई गा रहा है. दूर.
मेरी आत्मा संतुष्ट नहीं है कि वह खो चुकी उसे.
मेरी निगाह उसे खोजने की कोशिश करती है जैसे इस से वह नज़दीक आ जाएगी.
मेरा दिल खोजता है उसे और वह नहीं है मेरे पास.
वही रात धवल बनाती उन्हीं पेड़ों को
हम उस समय के, अब वही नहीं रहे.
मैं उसे और प्यार नहीं करता, यह तय है पर कितना प्यार उसे मैंने किया
मेरी आवाज़ ने हवा को खोजने की कोशिश की ताकि उसे सुनता हुआ छू सकूं
किसी और की. वह किसी और की हो जाएगी. जैसी वह थी
मेरे चुम्बनों से पहले. उसकी आवाज़ उसकी चमकदार देह उसकी अनन्त आंखें
मैं उसे प्यार नहीं करता यह तय है पर शायद मैं उसे प्यार करता हूं
कितना संक्षिप्त होता है प्रेम, भुला पाना कितना दीर्घ.
क्योंकि ऐसी ही रातों में थामा किया उसे मैं अपनी बांहों में
मेरी आत्मा संतुष्ट नहीं है कि वह खो चुकी उसे.
हालांकि यह आख़िरी दर्द है जो सहता हूं मैं उसके लिये
और ये आख़्रिरी उसके लिये कविताएं जो मैं लिखता हूं.
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3 comments:
जो ढह जाये, वह ढहा रहे,
जो सहता है, वह कहता है।
सुबह से सर्च मारने के बाद अभी मिली है नेट पे ये मूवी . कमबखत मारे 44 .91 $ मांग रहे हैं ! कहते हैं best value offer है जी ! जाते हैं आज किसी stone age की वीडियो लायब्रेरी में ढूंढेंगे!
लिख सकता हूं आज की रात बेहद दर्दभरी कविताएं! बार बार पढ़ने जैसा !
जाने कैसे इस पोस्ट पर क्लिक किया................
आज से ठीक एक साल पहले की.........और एकदम लाजवाब..................
शायद इसको पढ़ना लिखा था नसीब में :-)
बहुत सुंदर अनुवाद....
शुक्रिया.
अनु
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