मार्सिन स्विएतलिकी की कविताएं अभी कुछ समय और पोस्ट करने का इरादा रखता हूं. आज उनकी दो छोटी कविताएं -
तलघर से गीत
तलघर के फ़र्श पर बिछे हुए हैं पत्थर
ठीक जिस तरह आकाश पर हैं,
लेकिन तलघर में पैदा होते हैं
सिर्फ़ सफ़ेद और अन्धे पशु.
अगर, बेपरवाही में आप अपना हाथ
सड़ते हुए अवशेषों के बीचोबीच डालेंगे
- आपको महसूस होगा एक नन्हा सा हृदय
एक अनन्त गतिमान शुरूआत.
ऊपर एक भारी शोर. ऊपर की मंज़िल पर
आज छुट्टी का दिन. और यहां - आधे अन्धेरे में -
यहां कोई छुट्टी नहीं होती. तलघर की खिड़की से
आपको दिखते हैं कीलजड़े तलों वाले बूट, बस.
दोपहर
रोशन बग़ीचे से तलघर तक: रात.
हर चीज़ मेल खाती है: यहां तलघर में
फूलों को अभी से तह कर रहा जा चुका, पत्तियां काली पड़ चुकीं.
रात के तले कुछ है, तलघर के तले, कुछ तो है
- अन्तिम प्रौढ़ता.
1 comment:
bahut pyari rachna.......
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