रोक डाल्टन की कविताओं की पोस्टिंग पर मैं भाई मनोज पटेल से माफ़ी भई मांग रहा हूं. आज मैं सुबह से इन कविताओं के प्रिन्टाआउट लिए इस अस्पताल से उस अस्पाताल के चक्कर काटता रहा. मेरी ज़िद थी कि ये सारी पांचों कविताएं कबाड़ख़ाने पर आज ही छपें. यक़ीन है भाई मनोज इस नाफ़रमानी और ज़िद्दीपन को मुआफ़ी अता फ़रमाएंगे.
अब तो मनोज वैसे भी हमारे कबाड़ी कुनबे के सदस्य बन चुके हैं सो उनकी नाराज़गी उतनी ज़्यादा नहीं होगी, उम्मीद है. उम्मीद तो यह भी है कि आगे से वे हमें दुनिया भर की महान कविताओं से परिचित कराते रहेंगॆ . आमीन
2 comments:
swagat!
स्वागत है मनोज पटेल
Post a Comment