आज फिर आबिदा :
कुछ इस अदा से आज वो पहलूनशीं रहे
जब तक हमारे पास रहे हम नहीं रहे
या-रब किसी की राज़-ए-मुहब्बत की ख़ैर हो
दस्त ए जुनूँ रहे न रहे आस्तीं रहे
दर्द-ए-ग़म-ए-फ़िराक के ये सख्त मरहले
हैराँ हूँ मैं के फिर भी तुम इतने हसीं रहे
जा और कोई ज़ब्त की दुनिया तलाश कर
ऐ इश्क हम तो अब तेरे क़ाबिल नहीं रहे
अल्लाह रे चश्म-ए-यार की मौजिज़ बयानियाँ
हर इक को है गुमाँ के मुख़ातिब हमी रहे
इस इश्क की तलाफ़ी ए माफ़ात देखना
रोने की हसरतें हैं जब आंसू नहीं रहे
4 comments:
waah
akhiri sher kamaal hai bhai! ashoke ko samrpit!
नीरज जी बहुत उम्दा..
खास कर.. जा और कोई जब्त की दुनिया तलाश कर
ऐ इश्क हम तो अब तेरे काबिल नहीं रहे...वाह..
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