Wednesday, June 29, 2011

हमारा यार है हम में हम को इंतजारी क्या

२००६ में आशा भोंसले ने यूनीवर्सल रेकॉर्डस से 'कहत कबीर' संग्रह जारी किया था. आशा भोंसले की आवाज़ में कबीर को सुनना बहुत सुखद अनुभव था. इस संग्रह से आपको सुनवाता हूं अपना पसंदीदा पीस. वैसे तो यह रचना आज से दो साल से अधिक समय पहले कबाड़ख़ाने पर लगाई जा चुकी है पर अब उसके प्लेयर ने काम करना बन्द कर दिया है. आनन्द लीजिए -




हम है इश्क मस्ताना हम को होशियारी क्या
रहें आजाद इस जग से हमें दुनिया से यारी क्या
जो बिछुड़े हैं पियारे से भटकते दरबदर फिरते
हमारा यार है हम में हम को इंतजारी क्या
खलक सब नाम अपने को बहुत कर सिर पटकता है
हमन गुरनाम सांचा है हमन दुनिया से यारी क्या
न पल बिछुड़े पिया हमसे न हम बिछड़े पियारे से
उन्हीं से नेह लागी है हम को बेकरारी क्या
कबीरा इश्क का माता दुई को दूर कर दिल से
जो चलना राह नाज़ुक है, हम सिर बोझ भारी क्या

5 comments:

नीरज गोस्वामी said...

कबीर को पढना और सुनना हमेशा अच्छा लगता है...एक क्रांतिकारी संत थे वो...उस ज़माने में कही उनकी बातें आज के परिपेक्ष्य में भी वैसी ही सच हैं...कबीर को आबिदा परवीन ने भी कमाल का गाया है...आशा जी की आवाज़ में उन्हें सुनना अच्छा लगा...

नीरज

प्रवीण पाण्डेय said...

कबीर की चोट सबसे अधिक वहाँ पड़ी जहाँ उसकी आवश्यकता है। शाब्दिक ऊर्जा का समुचित उपयोग।

Patali-The-Village said...

कबीर को पढना और सुनना हमेशा अच्छा लगता है|

Pratibha Katiyar said...

shukriya!

मुनीश ( munish ) said...

shukria. ek din yahan dehradun by beatles sunne kee koshish ki vo player hi nahin chala.