मेरे बचपन में ये गीत चला था और इसने धूम मचाई थी।हरेक के होठों पर ये गीत था।कहाँ से और कैसे आया था ये गीत इसका पता नहीं पर ये अपने दौर का सुपरहिट सोंग था।इसकी लोकप्रियता के चलते ही इसे हर कलाकार ने आजमाया था.मांगणियार कलाकारों के गीत काफी पारंपरिक किस्म के होतें है पर कोई गीत चल पड़ता है तो महफ़िलों में हर कलाकार को इसकी फरमाइशें पूरी करनी होती है.
स्व.भूंगर खां की ही आवाज़ में लीजिए अपने दौर का परम लोकप्रिय गीत-मोरू बाई.
1 comment:
स्वर में लहरियाँ बहुत भायीं।
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