Sunday, July 10, 2011

लाल मेरी पत रखियो भला


इस रचना को न जाने कितने फ़नकार आवाज़ दे चुके हैं लेकिन मुझे यह रेशमा की बंजारी आवाज़ में बहुत चित्ताकर्षक लगती रही है. सुनें -

3 comments:

abcd said...

अली के दरवाज़े तक का निश्चित पुल बनाती--आवाज़./

मुनीश ( munish ) said...

true...

मुनीश ( munish ) said...

Gem hai ji gem.