Sunday, July 10, 2011
लाल मेरी पत रखियो भला
इस रचना को न जाने कितने फ़नकार आवाज़ दे चुके हैं लेकिन मुझे यह रेशमा की बंजारी आवाज़ में बहुत चित्ताकर्षक लगती रही है. सुनें -
3 comments:
abcd
said...
अली के दरवाज़े तक का निश्चित पुल बनाती--आवाज़./
July 10, 2011 at 10:32 PM
मुनीश ( munish )
said...
true...
July 11, 2011 at 8:55 PM
मुनीश ( munish )
said...
Gem hai ji gem.
July 13, 2011 at 5:01 AM
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3 comments:
अली के दरवाज़े तक का निश्चित पुल बनाती--आवाज़./
true...
Gem hai ji gem.
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