Sunday, August 7, 2011

बग़ैर जाने, ये लोग, बचा रहे हैं संसार को

सच्चे लोग

- होर्हे लुई बोर्हेस


एक आदमी जो, जैसा वॉल्टेयर ने चाहा था, अपने बग़ीचे की देखभाल करता है
एक वह जो इसलिए कृतज्ञ है कि धरती पर संगीत का अस्तित्व है
वह जो प्रसन्नता के साथ एक शब्द की उत्पत्ति की बाबत खोज करता है
दक्षिणी कैफ़े में एक जोड़ा, शतरंज की एक ख़ामोश बाज़ी का लुत्फ़ उठाता हुआ
रंग और आकृति के बारे में विचारमग्न एक कुम्हार
एक टाइपोग्राफ़र जो इस कविता को जमा रहा है, और शायद अभी खुश नहीं हुआ है
एक स्त्री और एक पुरुष जो पढ़ रहे हैं एक लम्बी कविता की अन्तिम तीन पंक्तियां
वह जो दुलरा रहा है किसी पशु को
वह जो अपने साथ हुए अन्याय को न्यायोचित ठहरा रहा है या ऐसा करने की कोशिश कर रहा है
वह जो आभारी है स्टीवेन्सन के अस्तित्व के लिए
बग़ैर जाने, ये लोग, बचा रहे हैं संसार को.

(वॉल्टेयर - फ़्रांसीसी इतिहासकार, दार्शनिक जो धर्म और व्यवसाय की स्वतन्त्रता के पक्षधर थे, स्टीवेन्सन - आर. एल. स्टीवेन्सन - मशहूर अंग्रेज़ी उपन्यासकार)

4 comments:

nilesh mathur said...

बेहतरीन।

hotender ahuja said...

true till today and forever...

hotender ahuja said...

true till today and forever...

अजेय said...

सच है. किंतु ये बचाने वाले लोग कितने कम, असमर्थ, अशक्त, और निरीह हैं ..... संसार को खा जाने वाले लोगों के मुक़ाबले में .......