आधुनिक पोलिश कविता की एक सशक्त हस्ताक्षर हालीना पोस्वियातोव्सका (१९३५ - १९६७) के जीवन और कविताओं से गुजरते हुए बार - बार निराला की पंक्ति याद आती है -' दु:ख ही जीवन की कथा रही.' । वह इधर के एकाध दशकों से पोलिश साहित्य के अध्येताओं की निगाह की निगाह में आई है और विश्व की बहुत - सी भाषाओं में उनके अनुवाद हुए हैं। हिन्दी में हालीना की कविताओं की उपस्थिति बहुत विरल है। ' 'कबाड़ख़ाना' पर उनके बहुत से अनुवाद उपलब्ध हैं। कुछ अनुवाद पत्रिकाओं में भी आए है / आने वाले हैं। आज इसी क्रम में प्रस्तुत है पोलिश कविता की समृद्ध और गौरवमयी परम्परा की एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में विद्यमान हालीना पोस्वियातोव्सका की दो कवितायें :
दो कवितायें : हालीना पोस्वियातोव्सका
( अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह )
०१- लालसायें
मुझे लुभाती हैं लालसायें
अच्छा लगता है
ध्वनि और रंगो के कठघरों पर सतत आरोहण
और जमी हुई सुवास को
अपने खुले मुख में कैद करना।
मुझे भाता है
किसी पुल से भी अधिक तना हुआ एकांत
मानो अपनी बाहों में
आकाश को आलिंगनबद्ध करने को तल्लीन।
और दिखाई देता है
बर्फ़ पर नंगे पाँव चलता हुआ
मेरा प्रेम।
०२- अकेलेपन में
यह जो एक विपुला पृथ्वी है अकेलेपन की
इस पर
एक अकेले ढेले की मानिन्द रखा है तुम्हारा प्रेम।
यह जो एक समूचा समुद्र है अकेलेपन का
इसके ऊपर
एक भटके हुए पक्षी की तरह
मँडराती रहती है तुम्हारी कोमलता।
यह जो एक संपूर्ण स्वर्ग है अकेलेपन का
इसमें वास करता है
एक अकेला देवदूत
....और भारविहीन हैं उसके पंख
तुम्हारे शब्दों के मानिन्द।
6 comments:
बहुत अच्छा लगा ...अनुवादित कविता की भावनाओं को पढ़ कर..
यह जो एक संपूर्ण स्वर्ग है अकेलेपन का
इसमें वास करता है
एक अकेला देवदूत
....और भारविहीन हैं उसके पंख
तुम्हारे शब्दों के मानिन्द
कविता कहीं गहरे हृदय को छूती है बेहतरीन अनुवाद
बिम्बों की अपरिचित गहराईयाँ।
गजब कविताएँ अद्भुत अनुवाद!
पुल की बाहे केवल नदी के दो किनारों को जोड़ पाए;
एकांत की बाहे पूरे आसमान को अपने में समाये //
चुतोंतिपूर्ण अनुभव /
"भारविहीन" देवदूत के लिए है सिर्फ इसलिए positive लग रहा है अन्यथा ये तो एक negative statement हुआ !!??
Kya kahun...Bolti band ho gayi...adbhut rachnayen
Neeraj
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