Monday, October 3, 2011

'स्पर्श' और 'संयोग' : आक्तावियो पाज़

इस ठिकाने पर आप  नियमित रूप से विश्व कविता से कुछ चुनिंदा अनुवादों से रू-ब-रू होते रहे हैं। इसी क्रम में आज प्रस्तुत हैं १९९० के नोबेल साहित्य पुरस्कार से सम्मानित कवि आक्तावियो पाज़ ( ३१ मार्च १९१४ – १९ अप्रेल १९९८ ) की दो कवितायें :  


 आक्तावियो पाज़ की दो कवितायें
( अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह )


01- स्पर्श

मेरे हाथ
खोलते हैं तुम्हारे अस्तित्व के पर्दे।
पहनाते हैं
नग्नता से परे का परिधान।
उघाड़ते हैं
तुम्हारी देह के भीतर की देहमालायें।
मेरे हाथ
अविष्कार करते हैं
तुम्हारी देह के लिए
एक दूसरी देह।

02- संयोग

मेरे नेत्र
खोज करते है
तुम्हारी निर्वसनता
और उसे आच्छादित कर देते हैं
दृष्टि की
गुनगुनी बारिशों से।
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( * पेंटिंग : दिमित्रि फिलातोव )