ये कविताएं क्युबा के महान कवि और आज़ादी की लड़ाई के नायक खोसे मार्ती द्वारा लिखी गयी हैं। अनुवादक जे एन यू दिल्ली मे विज़िटिंग प्रोफेस्सर हैं. उन्हो ने मुझे *असिक्नी* पत्रिका के लिए स्पेनिश से अनूदित सुन्दर आलेख, कविताएं और कहानियाँ भेजी हैं... एक खास कबाड़ खाना के पाठकों के लिए :
दो वतन हैं मेरे: क्यूबा और रात ।
या एक ही हैं दोनो ?
लाल फूल लिये हाथो में
ज्यों ही छिपता है महान सूर्य,
लम्बे नकाब में
दिखने लगती है मुझे
खामोश क्यूबा - उदास चील सी ।
जानता हूँ मैं क्या है यह खून सना लाल फूल
जो काँपता है हाथों मे सूर्य के ।
रिक्त है मेरा वक्ष, नष्ट और रिक्त है
वह जगह जहाँ हुआ करता था हृदय
समय हो चला है मरने की पहल करने का ।
रात अच्छी है अलविदा कहने के लिये ।
रोकते हैं प्रकाश और मानवीय शब्द ।
सृष्टि बोलती है बेहतर मनुष्य से ।
जिसका झंडा
बुलाता है लड़ने को,
जलती है लाल लौ मशाल की ।
खुद में जकड़ा हुआ मैं,खोल देता हूँ खिड़कियाँ ।
और
तोड़ता हुआ पत्तियाँ लाल फूल की, जैसे ढँक ले एक बादल आसमान को,
क्यूबा, चील, गुजर जाता है…………
हिन्दी अनुवाद:
पी.कुमार मंगलम
शोध छात्र और अतिथि अध्यापक
स्पेनी भाषा विभाग, जवाहरलाल नेहरु विश्विद्यालय, नई दिल्ली.
1 comment:
जबरदस्त,शानदार कविता !प्रस्तुति के लिए आभार !
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