Wednesday, October 5, 2011

रात अच्छी है अलविदा कहने के लिये

ये कविताएं क्युबा के महान कवि और आज़ादी की लड़ाई के नायक खोसे मार्ती द्वारा लिखी गयी हैं। अनुवादक जे एन यू दिल्ली मे विज़िटिंग प्रोफेस्सर हैं. उन्हो ने मुझे *असिक्नी* पत्रिका के लिए स्पेनिश से अनूदित सुन्दर आलेख, कविताएं और कहानियाँ भेजी हैं... एक खास कबाड़ खाना के पाठकों के लिए :



दो वतन

दो वतन हैं मेरे: क्यूबा और रात ।

या एक ही हैं दोनो ?

लाल फूल लिये हाथो में

ज्यों ही छिपता है महान सूर्य,

लम्बे नकाब में

दिखने लगती है मुझे

खामोश क्यूबा - उदास चील सी ।

जानता हूँ मैं क्या है यह खून सना लाल फूल

जो काँपता है हाथों मे सूर्य के ।

रिक्त है मेरा वक्ष, नष्ट और रिक्त है

वह जगह जहाँ हुआ करता था हृदय

समय हो चला है मरने की पहल करने का ।

रात अच्छी है अलविदा कहने के लिये ।

रोकते हैं प्रकाश और मानवीय शब्द ।

सृष्टि बोलती है बेहतर मनुष्य से ।

जिसका झंडा

बुलाता है लड़ने को,

जलती है लाल लौ मशाल की ।

खुद में जकड़ा हुआ मैं,खोल देता हूँ खिड़कियाँ ।

और

तोड़ता हुआ पत्तियाँ लाल फूल की, जैसे ढँक ले एक बादल आसमान को,

क्यूबा, चील, गुजर जाता है…………


हिन्दी अनुवाद:

पी.कुमार मंगलम

शोध छात्र और अतिथि अध्यापक

स्पेनी भाषा विभाग, जवाहरलाल नेहरु विश्विद्यालय, नई दिल्ली.

pkmangalam@gmail.com

1 comment:

अरुण अवध said...

जबरदस्त,शानदार कविता !प्रस्तुति के लिए आभार !