१९३१ में जन्मे स्वीडन के कवि ८० वर्षीय टॉमस ट्रांसट्रोमर को २०११ के साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किए जाने की घोषणा हुई है। वे विश्व के सर्वाधिक सम्मानित साहित्यकारों में से एक हैं। दुनिया भर के अखबारों में इस बाबत बहुत कुछ छपा है व छप रहा है। विश्व कविता की विविधवर्णी रचनाओं के अनुवादों को कविता प्रेमियों से साझा करने के क्रम में आज प्रस्तुत हैं उनकी दो कवितायें :
टॉमस ट्रांसट्रोमर की दो कवितायें
( अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह )
०१-
सूर्य - दृश्य
घर के पिछवाड़े से
उभरता है सूर्य
खड़ा हो जाता है सड़क के बीचोबीच
और हम पर छोड़ता है
रक्तिम वायु से पूरित उसाँस।
इन्सब्रुक , मैं त्याग दूँगा तुम्हें
लेकिन आने वाले कल
भूरे रंग के अर्धमृत जंगल में
वहाँ एक और सूर्य होगा चमकदार
जहाँ हमको करना होगा काम
और जीना होगा जीवन।
०२-
मध्य - शीतकाल
यह मध्य है शीतकाल का
बज रही है हिम की डफलियाँ
मेरे पहनावे से
प्रस्फुटित हो रहा है
एक नीला प्रकाश।
मैं मूँद लेता हूँ
अपने नयन -द्वय
यह एक खामोश दुनिया है
प्रकट है एक दरार
जिस राह से होता है
मृत देहों का अवैध व्यापार ।
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( टॉमस ट्रांसट्रोमर की कुछ कवितायें 'कर्मनाशा ' पर )
2 comments:
दोनों प्रभावी, अलग विमा, बढ़े आयाम।
महान रचनाकार से परिचित कराने का आभार !
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