जो मर गए पिछली सर्दियों में
संजय चतुर्वेदी
लोग भूल जाते हैं
कौन लोग थे
जो उम्हें इतिहास निकाल कर लाए
उन्हें खींचते रहे
उनकी गर्म रजाइयों से बाहर
लकड़ियाँ इकट्ठी करते रहे
कहीं मौसम ज़्यादा ख़राब न हो जाए
उनके सहमे हुए घरों में आवाज़ बनकर रहे
लोग भूल जाते हैं वसन्त आते ही
कौन थे जो मर गए पिछली सर्दियों में
(चित्र- चेरूकी इन्डियन कलाकृति- मॉर्निंग टीयर्स')
2 comments:
सुंदर रचना ...बधाई
सर्दी भूलकर ही बसंत आता है सबके लिये..
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