चर्चित कवि एकांत श्रीवास्तव की एक रचना पेश है -
रास्ता काटना
भाई जब काम पर निकलते हैं
तब उनका रास्ता काटती हैं बहनें
बेटियाँ रास्ता काटती हैं
काम पर जाते पिताओं का
शुभ होता है स्त्रियों का यों रास्ता काटना
सूर्य जब पूरब से निकलता होगा
तो नीहारिकाएँ काटती होंगी उसका रास्ता
ऋतुएँ बार-बार काटती हैं
इस धरती का रास्ता
कि वह सदाबहार रहे
पानी गिरता है मूसलाधार
अगर घटाएँ काट लें सूखे प्रदेश का रास्ता
जिनका कोई नहीं है
इस दुनिया में
हवाएँ उनका रास्ता काटती हैं
शुभ हों उन सबकी यात्राएं भी
जिनका रास्ता किसी ने नहीं काटा ।
4 comments:
बहुत सुन्दर कविता...
अति उत्तम!!
बहुत सुन्दर कविता...
अति उत्तम!!
गहरी अभिव्यक्ति..
बहुत प्यारी कविता।
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