Saturday, February 4, 2012
बताओ आदम ने गुपचुप अपने आप से क्या कहा था
महाकवि महमूद दरवेश की कई कविताएँ आप इस ब्लॉग पर पढ़ चुके हैं. आज उसी पुरानी सीरीज़ को चालू किया जाए कुछेक दिन और -
हमारे पंखों में दो अजनबी चिड़ियां
राख है मेरा आसमान. मेरी पीठ खुरचो. और अजनबी!
हौले हौले मेरी लटें सुलझाओ. और मुझे बताओ
तुम्हारे दिमाग़ में क्या चल रहा है. मुझे बताओ
क्या गुज़रा यूसुफ़ के दिमाग़ में. मुझे कोई छोटी मोटी बात
बताओ ... ऐसा कुछ
जो एक स्त्री सुनना चाहती है
मुझे पूरी बात नहीं सुननी. एक मुद्रा काफ़ी होगी
मुझे बिखेर देने को सूरज और पानी के सोते के बीच
तितलियों की उड़ान में. मुझे बताओ
मैं तुम्हारे लिए नींद जैसा ज़रूरी हूं, न कि प्रकृति की तरह
जो तुम्हारे मेरे बीच पानी भर दिया करती है. और मेरे ऊपर ओढ़ाओ
एक अनन्त नीला पंख ...
राख़ है मेरा आसमान,
जिस तरह राख होता है एक ब्लैकबोर्ड, उस पर
लिखे जाने से पहले. तो मेरे ख़ून की स्याही से कुछ भी लिखो
जो उसे बदल दे: एक बोल ... दो बोल,
उपमा देने के किसी भी अतिशय उद्देश्य के. और कहो
कि हम दो अजनबी चिड़ियां हैं मिश्र में
और सीरिया में. कहो कि अपने पंखों में
हम दो अजनबी चिड़ियां हैं. और वाक्य के बग़ल में
अपना और मेरा नाम लिखो. क्या बजा है अभी? नए आईनों में
मेरे और तुम्हारे चेहरों का क्या रंग है?
मेरे पास कुछ नहीं है जो मुझ सा नज़र आए
क्या पानी की देवी ने तुम्हें ज़्यादा प्यार दिया?
क्या समुद्री चट्टान के पास
उसने तुम्हें रिझाने की कोशिश की? सच बताना अभी
कि तुमने अपना अकेलापन बीस साल और बढ़ा लिया है
उसके हाथों गिरफ़्तार रहने को. और मुझे बताओ
तुम्हें कैसा लगता है जब आसमान राख़ होता है ...
राख़ है मेरा आसमान.
मैं उस जैसा दिखता हूं जो अब मुझ जैसा दिखता ही नहीं.
क्या किसी जलपरी के केशों में
तुम अपने निर्वासन की रात को लौटना चाहते हो? या
अपने घर के गूलर के पेड़ों तक?
क्योंकि शहद कहीं भी किसी अजनबी को
नुकसान नहीं पहुंचाता? तो अभी बजा क्या है?
इस जगह का नाम क्या है? और
मेरे आसमान और तुम्हारी धरती में क्या फ़र्क़ है. बताओ
आदम ने गुपचुप अपने आप से क्या कहा था, क्या उसे याद करते हुए उसका उद्धार हुआ?
मुझे ऐसी किसी चीज़ के बारे में बताओ जो
आसमान के राख़ के रंग को बदल सकती हो. मुझे
कुछ साधारण चीज़ें बतलाओ, स्त्रियों की इच्छाओं के बारे में बताओ
जिन्हें जब-तब बोला जा सकता हो. मुझसे कहो कि दो लोग
तुम और मुझ जैसे दो लोग इस सारी समानता को
कोहरे और मरीचिका के बीच लिए चल सकते हैं,
और सुरक्षित लौट भी सकते हैं. राख़ है मेरा आसमान, तो तुम
क्या सोचते हो जब आसमान राख़ हो जाता है?
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महमूद दरवेश
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