Monday, February 20, 2012

गल भुजंग भस्म अंग शंकर अनुरागी


शिवरातत्रि के अवसर आप को सुनवाता हूँ पंडित छन्नूलाल मिश्र जी के अल्बम "शिव विवाह" से दो रचनाएं. इस अल्बम में संकलित "तन विभूति पट केहरि छाला" को आप पहले भी कबाड़ख़ाने पर सुन चुके हैं. फिलहाल पहले सुनिए - "गल भुजंग भस्म अंग शंकर अनुरागी" -



अब सुनिए "जय शिवशंकर औघर दानी" -

4 comments:

umesh said...

सारे शिवभक्त शायद कबाड़ में रत्न ढूँढ रहे हैं .

"गल भुजंग भस्म अंग शंकर अनुरागी"

और

"जय शिवशंकर औघर दानी" का लिंक काम नहीं कर रहा है

Ashok Pande said...

उमेश जी,

पहले बता देते साब! ठीक के देता. अब काम कर रहा है. यानी मेरे यहाँ तो बजने लगा. असुविधा के लिए माफी.

umesh said...

जय शिव शंकर औघड़ बाबा

Smart Indian said...

आभार