Wednesday, March 21, 2012

कविता के उर्वर प्रदेश में

हि्न्दी की साहित्यिक बिरादरी बी० मोहन नेगी के  रेखांकन और उनके  बनाए कविता पोस्टरों से परिचित है। वे चित्रकार व कविता के सजग पाठक हैं। उनके नाम और काम से बहुत लंबे समय से परिचय था किन्तु प्रत्यक्ष भेंट अभी तीन चार दिन पहले गंगोलीहाट (जिला - पिथौरागढ़ , उत्तराखंड) में 'भाषा' और 'पहाड़'  द्वारा आयोजित उत्तराखंड भाषा संगोष्ठी में हुई। मैंने अपने कैमरे से  उनके कई चित्र उतारे , उनके द्वारा लगाई गई पोस्टर प्रदर्शनी के भी..प्रस्तुत हैं कुछ चित्र..


ग्राम उपराड़ा- एक घर का गवाक्ष
  झाँकता - मुस्काता अपना चित्रकार 


सुंदर कविता का सुंदर - सा पोस्टर
शब्दों ने पहुँचाया ऊँचे पहाड़ पर 


बोलते हैं रंग बोलती रेखायें
नए नए अर्थ खुद दे जायें


कवि गुमानी का जर्जर यह घर
क्या हम सहेजेंगे इसे मिलकर



10 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

जीवन का अंधेरा दूरियों का भाव खो देता है।

शूरवीर रावत said...

बी मोहन नेगी जी के परिचय को विस्तार की जरूरत थी.

गणेश जोशी said...

पहाड़ की खूबसूरती कभी इन्ही बखालिओ मई दिखती थी...बहुत खूब...........

मुनीश ( munish ) said...

कमाल के चित्र, लाजवाब कर देने वाले शब्द ।

अजेय said...

इस कला कार के बारे कभी विस्तृत पोस्ट दीजियेगा .

Ek ziddi dhun said...

अजेय सही क ह रहे हैं। इनके बारे में विस्तार से लिखिएगा और कुछ कविता पोस्टर और दिजिएगा।

Sunitamohan said...

jab se lekhan aur kala ki thodi bahut samajh aane lagi hai shayad tab se hi mai Negi Ji ki fan hun, Pauri me unhe saakshat dekha, halki si mulakat hui, fir bhi mai subeer Ji ki hi tarah unke vistrit Parichay ke liye utsaahi hun.......aasha hai kabadkhana me ye bhi mil hi jayega!!!

ghughutibasuti said...

आज पहाड़ की अधिक ही नौराई लग रही है। आज ही यहाँ भी आई और सुखद आश्चर्य हुआ जब यहाँ भी पहाड़ ही पाया। आभार।
घुघूती बासूती

ghughutibasuti said...

आज पहाड़ की अधिक ही नौराई लग रही है। आज ही यहाँ भी आई और सुखद आश्चर्य हुआ जब यहाँ भी पहाड़ ही पाया। आभार।
घुघूती बासूती

ghughutibasuti said...

आज पहाड़ की अधिक ही नौराई लग रही है। आज ही यहाँ भी आई और सुखद आश्चर्य हुआ जब यहाँ भी पहाड़ ही पाया। आभार।
घुघूती बासूती