Sunday, March 4, 2012

काल्वीनो के हेमिंग्वे


उस्ताद इतैलो काल्वीनो अपनी किताब 'व्हाई रीड द क्लैसिक्स' के अध्याय 'हेमिंग्वे एंड आर्सेल्व्ज़' की शुरुआत में लिखते हैं -


"एक समय था जब मेरे – और कई और सारों के लिए, जो करीब-करीब मेरे समकालीन हैं – हेमिंग्वे एक भगवान था. मुझे याद करते हुए खुशी होती है कि वे अच्छे दिन थे, और इस बात में उस विडंबनापूर्ण अनुग्रह की ज़रा भी झलक नहीँ जिसके साथ हम अपनी जवानी के शौकों को याद किया करते हैं. वह गंभीर समय था और साफदिली के साथ हमने उसे गंभीरता और बहादुरी से जिया, और हेमिंग्वे में हम निराशावाद, व्यक्तिगत किस्म का अलगाव और बेहद हिंसक अनुभवों के साथ एक सतही जुड़ाव भी खोज सकते थे: हेमिंग्वे में यह सब भी था, लेकिन या तो हम इसे देख नहीं सके या हमारे दिमाग में दूसरी चीज़ें थीं, लेकिन सच्चाई यह है कि हमने उस से जो सीखा वह थी खुलेपन और दयालुता की काबिलियत, चीज़ों के प्रति एक व्यावहारिक – साथ ही तकनीकी और नैतिक जिम्मेदारी भी – कि उनके साथ क्या किया जाना है, एक सीधी निगाह, आत्मदया या आत्मरति का अस्वीकार, जीवन से सबक झपट सकने की तत्परता, एक रूखे वार्तालाप या भंगिमा के माध्यम से समझे गये किसी व्यक्ति की कीमत. 


लेकिन जल्द ही हमने उसकी कमियां देखना शुरू कर दिया, उसके खोट : उसकी पोयटिक्स और उसकी शैली जिसका मैं अपने शुरुआती साहित्यिक कार्यों के लिए कृतज्ञ हूँ, को संकीर्ण और मैनरिज्म की तरफ उतर जाने को खासा उद्यत देखा जाने लगा. हिंसक पर्यटन का उसका वह जीवन – और जीवनदर्शन – मुझे अविश्वास और यहाँ तक कि वितृष्णा और उकताहट से भरना शुरू करने लगा."
 

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