Thursday, March 1, 2012

मयी दादा और उनकी भांग की घोड़ी


ज़िया मोहिउद्दीन की आवाज़ में आप कई सारे पीसेज सुन चुके हैं. आज आप सुनिए एक शानदार किस्सा. असद मोहम्मद खान का लिखा यह संस्मरण किस्सागोई की उस गंगा-जमनी परम्परा से निकला है जिस का मैं तो मुरीद हूँ. और ऊपर से ज़िया साब की आवाज़. एक और कबाडखाना एक्सक्लूसिव -

 

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