Wednesday, April 11, 2012

कविता की एक आकस्मिक पंक्ति में


डेनिस लेवेर्तोव की कविता -

रहस्य

कविता की  
एक आकस्मिक पंक्ति में  
दो लडकियां ने पा लिया
जीवन का रहस्य.

मैं जो नहीं जानती उस रहस्य को
मैंने लिखी थीं
वे पंक्तियाँ. उन्होंने
मुझे बतलाया
(एक तीसरे व्यक्ति की मार्फ़त)
कि उन्होंने उसे पाया था
पर यह नहीं बताया कि वह क्या था
यह भी नहीं
कि वह किस पंक्ति में था. बिला शक
एक हफ्ते बाद, अब तक
वे भूल चुकी होंगी
उस रहस्य को,
उस पंक्ति को, कविता के
शीर्षक को. मुझे उनसे प्रेम है
क्योंकि उन्होंने वह खोज लिया
जिसे मैं नहीं खोज पाई,
क्योंकि वे मुझे प्रेम करती हैं
उस पंक्ति के लिए जिसे मैंने लिखा था,
क्योंकि वे उसे भूल गईं
ताकि
हज़ार दफा, जब तक कि
मृत्यु न खोज ले उन्हें, वे
फिर से पा सकती हैं उसे, किन्ही
दूसरी पंक्तियों में
दूसरी घटनाओं में. और क्योंकि वे
उसे जानना चाहती थीं,
क्योंकि
उन्होंने मान रखा था
कि ऐसा कोई रहस्य था. हाँ
सब से ज़्यादा
इसी वजह से.

3 comments:

शिवा said...

सुंदर कविता ....

WomanInLove said...

Loved it!

Unknown said...

जिन खोजा तिन पाईयां