Friday, May 11, 2012

तुझे भूलने की दुआ करूं तो मेरी दुआ में असर न हो

बशीर बद्र की बेहद खूबसूरत गज़ल हुसैन बंधुओं के स्वर में -




कभी यूँ भी आ मेरी आँख में, के मेरी नज़र को खबर न हो
मुझे एक रात नवाज़ दे मगर उस के बाद सहर न हो

वो बड़ा रहीम-ओ-करीम है, मुझे ये सिफत भी अता करे
तुझे भूलने की दुआ करूं तो मेरी दुआ में असर न हो

मेरे बाजुओं में थकी थकी अभी महव-ए-खाब है चांदनी
न उठे सितारों की पालकी, अभी आहटों का गुजर न हो

कभी दिन की धुप में घूम के, कभी शब को फूल को चूम के
यूँ ही साथ साथ चलें सदा, कभी खत्म अपना सफर न हो

  

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