Sunday, May 6, 2012
चल री दुल्हनिया साजन के द्वार, लेने को आए कहार
हबीब वली मोहम्मद साहब की गाई एकाधिक गज़लें आप यहाँ समय-समय पर सुनते आए हैं. आज इनसे सुनते हैं एक मीठा लोकगीत -
1 comment:
Anupama Tripathi
said...
मर्मस्पर्शी ...बहुत सुंदर गीत ....
आभार ...
May 6, 2012 at 4:21 PM
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मर्मस्पर्शी ...बहुत सुंदर गीत ....
आभार ...
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