Monday, September 10, 2012

सलाम मछलीशहरी का क़लाम – २



अंदेशा

-सलाम मछलीशहरी

आर्टिस्ट! अपनी ये तस्वीर मुकम्मल कर ले
हाँ ये होंठ और भी पतले हों, ये आँख और भी मस्त
लेकिन इन गालों की सुर्ख़ी को ज़रा कम कर दे
मैंने शायद इन्हें मुरझाया हुआ पाया है
हलके अश्कों से इन आँखों को ज़रा नाम कर दे
मैंने अफ़सुर्दा निगाहों से यही समझा है
आज मैंने भी सर-ए-राह इसे देखा है
एक शहकार इसे जल्द से बना ले ऐ दोस्त
वर्ना तस्वीर का ख़ाका ही बदलना होगा


(अफ़सुर्दा – उदास, सर-ए-राह – रस्ते पर, शहकार – बेहतरीन कृति )

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