Monday, September 17, 2012

साठ वर्ष पूरे होने पर बल्ली सिंह चीमा का सम्मान


बल्ली सिंह चीमा की एक ग़ज़ल आपने कुछ समय पहले यहाँ पढ़ी और सराही थी. बल्लीभाई के ६० बसंत पूरे करने पर मित्रों द्वारा उनके लिए षष्टिपूर्ति कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम की रिपोर्ट प्रस्तुत है –

साठ वर्ष पूरे होने पर जनकवि बल्ली सिंह चीमा का सम्मान

जनकवि बल्ली सिंह चीमा के 60 वर्ष पूरे होने पर दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान में आठ सिंतबर, 2012 को उनके सम्मान में कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस षष्ठिपूर्ति कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रख्यात कवि मंगलेश डबराल ने की। कार्यक्रम का आरंभ बल्ली सिंह चीमा की गजलों के गायन से हुआ। पंजाब से आए सुखविंदर सिंह चीमा तथा देहरादून से आए दिनेश कृष्ण और उनकी बेटी आरुषि कृष्ण ने अपनी सधी हुई गायकी से उपस्थित श्रोताओं का मन मोह लिया। गजलों की प्रस्तुति के बाद वरिष्ठ कथाकार पंकज बिष्ट ने बल्ली सिंह चीमा को सम्मान पत्र भेंट किया और वरिष्ठ कवि मंगलेश डबराल ने उन्हें शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। वरिष्ठ लेखिका और दिल्ली विश्वविद्यालय में प्राध्यापक डॉ. कल्पना मिश्रा ने बल्ली सिंह चीमा की पत्नी बलजीत कौर को शॉल भेंटकर सम्मानित किया। इस मौके पर बल्ली सिंह चीमा के गजल-गीत संग्रह ``जमीन से उठती आवाज`` के दूसरे संस्करण का विमोचन ``अलाव`` पत्रिका के संपादक रामकुमार कृषक ने किया। साथ ही बल्ली सिंह चीमा पर केंद्रित स्मारिका का विमोचन वर्तमान साहित्य के पूर्व संपादक से.रा. यात्री ने किया।

इस अवसर पर प्रतिष्ठित कवि वीरेन डंगवाल, जाने-माने उपन्यासकार और समयांतर पत्रिका के संपादक पंकज बिष्ट, वरिष्ठ साहित्यकार से.रा. यात्री, वरिष्ठ कवि और लेखक डॉ.जसवीर चावला, वरिष्ठ साहित्यकार रामकुमार कृषक, जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय महासचिव प्रणय कृष्ण, जनमत पत्रिका के संपादक रामजी राय और लेखक-पत्रकार प्रेमचंद गांधी ने बल्ली सिंह चीमा की रचना यात्रा, उनकी गजलों-गीतों के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला। अपने संबोधन में पंकज बिष्ट ने उत्तराखंड आंदोलन में बल्ली सिंह चीमा की सक्रिय सहभागिता को रेखांकित किया। से.रा. यात्री ने बल्ली सिंह चीमा को दृढ़ संकल्प का कवि बताया। रामकुमार कृषक ने बल्ली सिंह चीमा की जनपक्षधरता पर प्रकाश डाला। जसवीर चावला ने उनके नए संग्रह की पहली रचना के परिप्रेक्ष्य में एक नयी कविता सुनाई। वीरेन डंगवाल ने बल्ली सिंह चीमा को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि बल्ली एक सरल, सहज व्यक्तित्व वाले कवि हैं। उनकी रचनाएं शोषण और अन्याय के खिलाफ संघर्ष की कविताएं हैं। रामजी राय ने कहा कि यदि कविता नारा बन जाती है तो यह उसकी कमजोरी नहीं ताकत है। प्रणय कृष्ण ने उनके नवनीतम गजल संग्रह की गजलों के हवाले से बल्ली सिंह चीमा को नए आयामों के साथ संपूर्णता लेता कवि बताया। वक्ताओं ने कहा कि बल्ली सिंह चीमा जनता के कवि हैं। उनकी गजलों और गीतों ने संघर्ष करने वालों को हमेशा एक नई ऊर्जा और प्रेरणा दी है। देश के बहुत सारे हिस्सों में जनांदोलनों में उनके गीत गाए गए और गाए जाते हैं। इस मौके पर बल्ली सिंह चीमा ने मेहनतकश जनता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए अपनी रचना यात्रा से जुड़े कई पहलुओं के बारे में बताया और अपनी कुछ नई गजलें सुनाई। अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रख्यात कवि मंगलेश डबराल ने कहा कि चीमा जनता के प्रतिनिधि कवि हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड आंदोलन में चीमा ने सक्रिय भागीदारी की और वह एक साहसी कवि हैं। मंगलेश डबराल ने भविष्य में चीमा की रचना यात्रा के प्रति शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम का संचालन संस्कृतिकर्मी और प्राध्यापक डॉ. प्रकाश चौधरी ने किया।

इस अवसर पर प्रकाशित स्मारिका में आनंद स्वरुप वर्मा, पंकज बिष्ट, चंद्रभूषण, शम्भू गुप्त, राजाराम भादू, गोपाल प्रधान, कृष्ण सिंह, डॉ. जसवीर चावला, सिद्धेश्वर सिंह, त्रेपन सिंह चौहान, डॉ. राकेश कुमार सिंह जैसे जाने-माने साहित्यकारों, कवियों, पत्रकारों और लेखकों ने बल्ली सिंह चीमा के रचनाकर्म और उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला है। स्मारिका में मशहूर संस्कृतिकर्मी, लेखक और आंदोलनकारी वरवर राव और अनिल सिन्हा द्वारा उनके पूर्व गजलों संग्रहों के लिए लिखी भूमिकाओं और बल्ली सिंह चीमा द्वारा लिखी अप्रकाशित गजलों और गीतों को प्रकाशित किया गया है। स्मारिका का संपादन डा. प्रकाश चौधरी ने किया है।

उत्तर से लेकर दक्षिण तक मशहूर गीत- `ले मशालें चल पड़े…` के रचनाकार बल्ली सिंह चीमा के सम्मान में आयोजित इस कार्यक्रम में चित्रकार हरिपाल त्यागी, प्रख्यात लेखक प्रेमपाल शर्मा, कवि और प्राध्यापक सिद्धेश्वर सिंह, चित्रकार और प्राध्यापक डॉ. लाल रत्नाकर, डॉ. नवीन चंद्र लोहानी, प्राध्यापक डा. अनिल गोविंदन, डॉ. के के सिंह, डॉ. शुभ्रा, वकील और एक्टिविस्ट रवीन्द्र गढ़िया, वरिष्ठ पत्रकार चंद्रभूषण, वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण सिंह, पत्रकार-एक्टिविस्ट भूपेन सिंह, सफाई कर्मचारी आंदोलन के बेजवाड़ा विल्सन, पत्रकार और कवियत्री इंदिरा राठौर, जनपक्ष आजकल पत्रिका के संपादक चारू तिवारी, नारी समर्था से अवधेश कुमार सिंह, ग्रंथ शिल्पी प्रकाशन के श्याम बिहारी राय, जन संस्कृति मंच दिल्ली की सचिव भाषा सिंह, दिल्ली श्रमिक संगठन से रमेंद्र, जेएनयू से अयूब, कवि मदन कश्यप, कवि सुधीर सुमन और बोधि प्रकाशन के प्रतिनिधियों के अलावा पटना, इलाहाबाद, लखनऊ, कानपुर, चंडीगढ़, जयपुर, देहरादून, काशीपुर, और पंजाब से कईं साहित्यकार, पत्रकार और संस्कृतिकर्मी शामिल हुए।

-डॉ. प्रकाश चौधरी

संयोजक, बल्ली सिंह चीमा षष्ठिपूर्ति कार्यक्रम


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