असद जैदी की एक
और प्रासंगिक कविता –
हिंदू सांसद
आपका पानी बेस्वाद
आपका खाना खराब
आपकी ज़बान गलीज़
आपकी बोली अजीब
आपकी पोशाक नकली
आपका घर बेहूदा
आपका बाहर बेकार
आपकी रूह लापता
आपका दिल मुर्दार
आपका जिस्म आपसे बेजार
आपका नौकर भी है आपसे नाराज़
मेरा वोट लिए बग़ैर भी आप
मेरे सांसद हैं
आपको वोट दिए बग़ैर भी
मैं आपकी रियाया हूँ
आपका पानी बेस्वाद
आपका खाना खराब
आपकी ज़बान गलीज़
आपकी बोली अजीब
आपकी पोशाक नकली
आपका घर बेहूदा
आपका बाहर बेकार
आपकी रूह लापता
आपका दिल मुर्दार
आपका जिस्म आपसे बेजार
आपका नौकर भी है आपसे नाराज़
मेरा वोट लिए बग़ैर भी आप
मेरे सांसद हैं
आपको वोट दिए बग़ैर भी
मैं आपकी रियाया हूँ
अचानक आमने
सामने हो जाने पर
हम करते हैं एक दूसरे को
विनय पूर्वक नमस्कार
हम करते हैं एक दूसरे को
विनय पूर्वक नमस्कार
1 comment:
बेहतरीन!
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