Wednesday, November 7, 2012

तेरे पैरां च अखीर होवे मेरी


मुख्तियार अली से सुनिए यह मशहूर कम्पोजीशन जिसे बाबा नुसरत ने इस क़दर विख्यात किया था-





3 comments:

abcd said...

kya baat hai !kya saadgi !kya hunar !!

Ashok Pande said...

जनाब abcd साहब! आप जल्दी जल्दी यहाँ अपना आना दर्ज कर जाया करें तो मेहरबानी होगी. और आपके सुझाव भी लम्बे समय से नहीं आये. खैर शुक्रिया आपका.

abcd said...

अशोक भाई : आप की ज़र्रा -नवाज़ी है ।
हुक्म की तामील होगी ।